मेरठ (ब्यूरो)। नगर निगम और कैंट बोर्ड ने शहर के लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रमुख बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर पब्लिक टॉयलेट बनाए हैं, लेकिन उनमें रखरखाव नहीं है। इन पब्लिक टॉयलेट में सुविधाओं का अभाव है। खास तौर पर लेडीज टॉयलेट यानि पिंक टॉयलेट नजर ही नहीं आते हैं। हालत यह है कि अधिकतर बाजारों में महज पुरुष यूरिनल की सुविधा मौजूद है।
पिंक टॉयलेट तक नहीं
वहीं, पिंक टॉयलेट, सुलभ शौचालयों या वॉशरुम की संख्या शहर में काफी कम है। चयनित जगहों पर ये सुविधा महिलाओं के लिए उपलब्ध है। खासतौर पर पुराने शहर के बाजारों और सावर्जनिक स्थलों पर तक पिंक टायलेट की संख्या ना के बराबर है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अपने अभियान के तहत महिलाओं की इसी समस्या को दूर करने का प्रयास किया है। शहर के अधिकतर प्रमुख मार्केट, पब्लिक प्लेस, पार्क, सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के वॉश रूम का अभाव है। पिंक टॉयलेट न होने से महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पुराने शहर में ज्यादा परेशानी
महिलाओं के अनुसार सरकार ने लिए विभिन्न तरह की सुविधाएं व योजनाए ला रही है। इसके बावजूद भी उनके लिए टॉयलेट एक बड़ी समस्या है। बाजारों में महिलाएं खरीदारी के लिए पहुंचती है, लेकिन उनके लिए टॉयलेट की सुविधा तक नही मिल पाती है। खासतौर पर पुराने शहर के बाजारों में महिला शौचालय, पिंक टायलेट जैसी सुविधा नाममात्र भी नही है।
कोई सुविधा नहीं है
निगम द्वारा बनाए गए सार्वजनिक शौचालय और यूरिनल में महिलाओं के लिए अलग से सुविधा नही है। अगर कहीं एक दो है भी, उनमें भी साफ-सफाई नहीं है। या फिर वो बंद या खस्ता हालत में है। इस समस्या को दूर करने के लिए महिलाओं के लिए गत वर्ष आठ जगह पर सुलभ शौचालय बनाए गए थे।
सिर्फ 5 जगह ही सुविधा
हालत यह है कि शहर में महज 5 जगह पर पिंक शौचालय की सुविधा मिल रही है, लेकिन यह सुविधा फ्री नही है। वहीं, निगम के टॉयलेट्स में बड़ी गंदगी है। ऐसे में बाजारों में समस्या का सामना करना पड़ता है।
जरुरत के अनुसार पिंक ब्लू व सुलभ शौचालयों का संचालन किया जा रहा है। ये सभी प्रमुख चयनित जगहों पर संचालित हो रहे हैं जैसे विवि, मेडिकल कालेज, रेलवे स्टेशन, चौराहे आदि के पास हैं। इनमें साफ सफाई की पूरी जिम्मेदारी संस्था की है।
डॉ। हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी