मेरठ (ब्यूरो)। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और वेद व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा सोमवार यानि आज है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि आज है। इसे ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।
वेद व्यास का जन्म हुआ था
बताते हैं कि इस तिथि पर महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। ये पर्व गुरु को समर्पित है। इस दिन लोग अपने-अपने गुरु की पूजा करते हैं, उन्हें उपहार देते हैं। शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी बढ़कर बताया गया है। ज्योतिषों के अनुसार इस बार पूर्णिमा पर ब्रह्म योग व बुधादित्य राजयोग का शुभ संयोग बन रहा है। जो अत्यंत लाभकारी है।
ये है शुभ मुहूर्त
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 02 जुलाई को रात्रि 10.21 पर होगा। इसके बाद तीन जुलाई की शाम को 5.08 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में गुरु पूर्णिमा पर्व 3 जुलाई 2023 यानि मनाई जाएगी।
बन रहे शुभ संयोग
गणपति ज्योतिष केंद्र से ज्योतिषाचार्य डॉ। अनुराधा गोयल ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान गुरु से दीक्षा एवं आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होती है। ब्रह्म योग 03 जून को शाम 3.35 तक रहेगा और इसके बाद इंद्र योग शुरू होगा। बुधादित्य राजयोग पूरे दिन रहेगा।इन शुभ योग में गुरुओं से दीक्षा लेना शुभफलदायी होगा। गुरु की चरण वंदना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। जीवन के कष्ट दूर होंगे,सफलता की राह आसान होगी।
ब्रह्म योग - 02 जुलाई की रात से 03 जुलाई दोपहर 03.45 तक रहेगा।
इंद्र योग - 03 जुलाई , दोपहर 03.45 से 04 जुलाई, सुबह 11.50 तक।
खूब दान-पुण्य करें
ज्योतिष मनीष स्वामी के अनुसार अभी वर्षा ऋतु शुरू हो गई है। बारिश के दिनों में जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज के साथ ही कपड़े और छाते का दान जरूर करें। गुरु पूर्णिमा पर दान-पुण्य करेंगे तो इसका अक्षय पुण्य मिल सकता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवन भर बना रहता है। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भी भेंट कर सकते हैं।
ये करें उपाय
गुरु पूर्णिमा के दिन दान-धर्म का भी विशेष महत्व है।
इसलिए किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को पीला वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, केसर या पीतल के बर्तन इत्यादि चीजों का दान अवश्य करें।