मेरठ (ब्यूरो)। मंगलवार को असौड़ा हाउस जैन मंदिर से वार्षिक शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसर पर घोड़े के प्रथम स्वर्ण रथ पर शांतिनाथ भगवान ख्वासी बनने का सौभाग्य मिला। वहीं श्रीजी को लेकर स्वर्ण रथ पर बैठने का सौभाग्य अनुबंध जैन मान्या जैन को प्राप्त हुआ। सारथी का सौभाग्य नितिन जैन-शुभ्रा जैन को मिला। कुबेर का सौभाग्य योगेश जैन-अरिहंत प्रकाशन वालों को मिला। ईशान इंद्र एवं सनत इंद्र का सौैभाग्य गरिमा जैन-निमित्त जैन विराज मिला। वहीं प्रमुख आरती का सौभाग्य राजीव जैन-मोना जैन को मिला। योगेश जैन ने कुबेर बनकर कुबेर का कलश भरा। घोड़े के द्वितीय स्वर्ण रथ पर पारसनाथ भगवान के ख्वासी बनने का सौभाग्य एवं श्रीजी को लेकर रथ पर बैठने का सौभाग्य रविंद्र जैन-कुसुम जैन पंजाबीपुरा को प्राप्त हुआ।
बैंड के साथ निकाल यात्रा
रथ यात्रा में मुख्य सबसे आगे जैन ध्वज, स्वर्ण रथ व प्रमुख बैंड यात्रा की शोभा बढ़ा रहा था। इस दौरान कपिल जैन-संजय जैन ने भजनों से माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर मुनि ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि त्याग की जब चर्चा चलती है, तब तब उसका संबंध दान से जोड़ लिया जाता है। जबकि दोनों मे अंतर है। त्याग धर्म है और दान पुण्य है। दानी को राजा और त्यागी को महाराज कहा जाता है। धर्म की इमारत त्याग पर खड़ी होती है। धर्म आत्मा को जीवित रखने के लिए त्याग अत्यन्त आवश्यक होता है।
इनका रहा सहयोग
रथ यात्रा मे मुख्य सहयोग विनोद जैन राकेश जैन, विपिन, सुुभाष, संजय, रमेश, विनोद, विपुल, अतुल, अंकुर, प्रिंस, आभा, शोभा, पूनम, सोनिया, शशि, मनीषा, नीना, सविता, मनोज, अनिल और सुशील आदि का रहा।