मेरठ (ब्यूरो)। रोडवेज बसों की बिगड़ी चाल सुधारने के लिए परिवहन निगम के दावे जमीन पर उतरते ही फेल हो जाते हैं। विभाग द्वारा एक ऐसे ही दावे के तहत रोडवेज बसों की टाइमिंग सुधारने के लिए साल 2019 में रीजन की 800 से अधिक बसों में जीपीएस लगाए गए थे। मगर जीपीएस ट्रैकिंग के लिए मेरठ डिपो में कंट्रोल यूनिट ही नहीं हो पाई। जिसके चलते बसों में लगे जीपीएस शोपीस बनकर रह गए। आज स्थिति यह है कि 80 प्रतिशत बसों से जीपीएस गायब हो गए हैैं। ऐसे में अब एक बार फिर परिवहन निगम नए दावा यानी रोडवेज बसों की लेट लतीफी सुधारने के लिए वीएलटी यानि व्हीकल लोकेशन टै्रकिंग डिवाइस लेकर आई है।

छह साल में जीपीएस कबाड़
गौरतलब है कि साल 2019 में रोडवेज की बसों की लोकेशन ट्रैस करने के लिए बसों में जीपीएस को लगाए गए थे। लेकिन इन जीपीएस को मुख्यालय स्तर पर कनेक्ट नहीं कराने के कारण सभी जीपीएस बंद हो गए और छह साल से रोडवेज बसों में लगे जीपीएस मात्र शोपीस बने हुए हैैं। आज की बात करें तो रीजन की 800 के करीब बसों में लगाए गए जीपीएस सिस्टम या तो कबाड़ हो गए या फिर गायब हो गए हैैं।

ऑनलाइन होगी बस की लोकेशन
अब तक बसों का कोई टाइमटेबल नहीं होने से यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। घंटों बस डिपो परिसर में इंतजार के बाद भी कई बार बस उपलब्ध नहीं हो पाती है। ऐसे में यात्रियों की सुविधा के लिए परिवहन निगम बसों में वीएलटी यानि व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस लगवा रहा है। इसके साथ ही सिस्टम को भी अपडेट किया जाएगा। यानि परिवहन निगम अपनी सभी बसों को ऑनलाइन करने जा रहा है। इसके बाद ट्रेनों की तरह रोडवेज बस अड्डों पर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर बसों की भी लाइव लोकेशन पता चल सकेगी।

कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग
वीएलटी का मुख्यालय स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। यहां से अधिकारी बसों की मॉनिटरिंग की जा सकेंगी। साथ ही बसों की समयसारिणी भी तय होगी। बस अड्डों पर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर बस की लाइव लोकेशन के साथ ही बस किस रूट पर किस कारण से लेट है, कहां-कितनी देर खड़ी रही, इसका अपडेट भी यात्रियों को उपलब्ध हो पाएगा।

यह सुविधा तब ही यात्रियों के काम आएगी जब इसको पूरी तरह से चालू किया जाएगा। केवल डिवाइस लगाने से काम नहीं चलेगा।
अतुल कर्दम

पहले जीपीएस के नाम पर लाखों रुपए का बजट व्यय किया गया, अब वीएलटी के नाम पर बजट बर्बाद करने की प्लानिंग है।
डॉ। नफीस

रोडवेज के दावों और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है, ये जानने के लिए बस एक बार बस अड्डे का चक्कर काट आइए।
अमित अग्रवाल

नई बसों में वीएलटी लगा हुआ है लेकिन पुरानी बसों में इनको अपडेट किया जा रहा है। इसके साथ ही पांचों डिपो में बसों की हर रूट के अनुसार समयसारिणी तैयार की जा रही है। वीएलटी लगने के बाद बसों की लाइव लोकेशन के बारे में पता लगाया जा सकेगा।
संदीप नायक, आरएम रोडवेज