मेरठ (ब्यूरो)। गोल्ड सिटी यानी मेरठ के गोल्ड कारोबारियों से पिछले दो तीन साल से अलग-अलग तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नोटबंदी, लॉकडाउन की मार के बाद हॉलमार्किंग के गणित में उलझे गोल्ड कारोबारियों पर अब आचार संहिता की सख्ताई भारी पड़ रही है। स्थिति यह है कि शादियों के सीजन के बीच गांव-देहात व आसपास के कस्बों से आने वाले खरीददारों की संख्या प्रभावित हो गई है। इतना ही नहीं, आसपास के जनपदों से ज्वैलरी के नए डिजाइन की डिलीवरी तक लेने व्यापारी नहीं आ रहे हैं।

50 प्रतिशत कम कारोबार
शादियों का सीजन चल रहा है। बाजार में ग्राहकों का इंतजार है लेकिन 10 फरवरी तक जनपद में मतदान के चलते विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई। इसी के चलते जनपद में आने जाने वाले वाहनों और संदिग्धों पर नजर रखने के लिए स्ट्रेटिक सर्विलांस टीम अलर्ट मोड में है। रोजाना वाहनों की चेकिंग की जा रही है और उनसे मिलने वाले कैश की पूरी जानकारी लोगों से ली जा रही है। और कैश का हिसाब न दे पाने पर कैश जब्त किया जा रहा है। इससे गोल्ड मार्केट की बिक्री प्रभावित हो रही है। गांव-देहात समेत आसपास के कस्बों से कैश लेकर ज्वैलरी खरीदने वालों की संख्या आधे से भी कम हो गई है।

करोड़ों का नुकसान
मेरठ के ज्वैलरी कारोबार पर नजर डालें तो हर रोज 10 से 12 करोड़ रुपए का ज्वैलरी कारोबार होता है। चुनावी मौसम के बीच फरवरी माह में शादियों के सीजन की शुरुआत से बंधी व्यापारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। दरअसल, गांव-देहात कस्बों से आने वाले ग्राहक कैश में ज्वैलरी की खरीददारी अधिक करते हैं। 50 हजार तक की ज्वैलरी को कैश में दे दिया जाता है। मगर अब चेकिंग के चलते अधिकतर ग्राहक शहर में नहीं आ रहे हैं। इतना ही नहीं, दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा से आने वाले छोटे ज्वैलर्स ने भी अपने आर्डर होल्ड कर दिए हैं। इससे ज्वैलरी कारोबारियों की बिक्री कम हो गई है। ऐसे में फरवरी माह में ही रोजाना 6 करोड़ तक का नुकसान हो रहा है। ऐसे में 10 फरवरी तक करीब 60 करोड़ के नुकसान की आशंका शहर के गोल्ड कारोबारी जता रहे हंै।

कारीगरी का कमाल
मेरठ की ज्वैलरी डिजाइनिंग का लोहा देश के साथ-साथ विदेश में भी माना जाता हैं। फिल्म इंडस्ट्रीज में भी मेरठ के बने डिजाइन इस्तेमाल होते रहे हैं। मगर पिछले कुछ साल से मेरठ का सर्राफा बाजार लगातार मंदी के दौर से गुजर रहा है। नोटबंदी, जीएसटी, 12.5 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी, 20 कैरेट हॉल मार्किंग को लिस्ट से बाहर करने जैसे फैसलों ने मेरठ की कारीगरी को ग्रहण लगा दिया था। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान 20 कैरेट बंद होने से हुआ है। मेरठ के हस्तनिर्मित आभूषण सीधे निर्यात करने की सुविधा नहीं है। इस कारण सारा मुनाफा दिल्ली, मुंबई, गुजरात के एक्सपोर्टर कमा ले जाते हैं। मेरठ ज्वैलरी हस्तशिल्प क्षेत्र आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।

फैक्ट्स
मेरठ में 2000 से अधिक सर्राफा कारोबारी
रोजाना 10-12 करोड़ रुपये का होता है कारोबार
एशिया की सबसे बड़ी सोने की मंडी के नाम से मशहूर है मेरठ का गोल्ड बाजार
लगभग 90 हजार कारीगर और 7500 दुकानें और कारखाने हैैं
हाथ से सोने के गहने बनाने के लिए विश्वप्रसिद्ध है मेरठ
बंगाल, महाराष्ट्र के 30 हजार कारीगर मेरठ में हाथ से बनाते हैं गहनें
सोने की चेन, ठोस जेवर और निवेश के लिए जेवर देशभर में होते हैं सप्लाई

कोट्स
आचार संहिता के दौरान सख्ताई के चलते ग्राहकों की आवाजाही पर काफी फर्क पड़ा है। कैश में ज्वैलरी लेने वाले ग्राहको की संख्या 50 प्रतिशत तक कम हो गई है। बाजार में कैश का फ्लो प्रभावित हो रहा है।
विजय आनंद, महामंत्री, बुलियन एसोसिएशन

हालांकि मेरठ में कैश में ज्वैलरी की खरीददारी काफी कम होती है। छोटे व्यापारी ही कैश में लेन-देन करते हैं। ऐसे में छोटे व्यापारियों के कारोबार पर बड़ा फर्क आ सकता है।
मनोज गर्ग, कोषाध्यक्ष, बुलियन एसोसिएशन

बाजार में पहले से ही कोविड के कारण मंदी थी। अब सगहल की शुरुआत हुई लेकिन आचार संहिता के बाद ना तो बड़े आर्डर मिल रहे हैं और ना ही कैश में लेन देन हो रहा है। कैश व्यापारी काफी प्रभावित हुआ है।
अमित गुप्ता, नारायण ज्वैलर्स