वजह आम हैं
स्पांडिलाइटिस होने की वजह बहुत ही आम हैं। दस घंटों से ज्यादा चेयर पर बैठकर काम करने वाले लोग इसका आसान शिकार हैं। साथ ही हमारे बैठने का गलत पॉश्चर, देर तक टीवी देखना, कंप्यूटर पर काम करना इस बीमारी की मेन वजह है। अमूमन 35 साल की उम्र में लोगों को ये परेशानी होने लगती है। स्पाइन में होने वाली प्रॉब्लम ही स्पांडिलाइटिस में आती हैं। सर्वाइकल और लंबर दो तरह का स्पांडिलाइटिस होता है।
योग है मददगार
मेडिकल साइंस भी योग को स्पांडिलाटिस में फायदेमंद मानती हैं। डॉक्टर्स भी योगा और फिजियोथेरेपी की ही सलाह देते हैं। ये एक स्पाइनल डिजीज है, जिसमें स्पाइनल कॉर्ड के अलावा हाथ, कंधे, पैर, घुटने और हील्स को भी अपना शिकार बनाती है। इसमें मरीज इमोशनल, जनरल फटीग्स, स्ट्रेस जैसी प्रॉब्लम का भी सामना करता है। इनसे दूर रहने के लिए अच्छी और पूरी नींद के साथ बार-बार टूटने वाले स्लिपिंग पैटर्न और लेट नाइट सोने की आदत में बदलाव लाना काफी है। इसके अलावा योगा, मेडिटेशन, स्प्रीचुअल एक्सरसाइज, मॉर्निंग और इवनिंग वॉक भी अच्छा रिजल्ट देते हैं।
इन्हें करें एवॉयड
-स्मोकिंग, आलू, दही, चॉकलेट, फूलगोभी, कोको पाउडर, स्पाइसी गर्म खाना, भिंडी, बहुत ज्यादा चाय और कॉफी का सेवन
इनका करें सेवन
-वेजीटेबल जूस, वेजीटेबल सूप, स्क्वैश, सेब, कद्दू, लाल शिमला मिर्च, सलाद नमक और नींबू डालकर।
ये मसाले हैं फायदेमंद
-धनिया, जीरा, लहसुन, हल्दी, सौंफ, सौंठ, हींग
हेल्पफुल आयुर्वेदिक प्रोडक्ट
-त्रिफला, योगराज गुगुल, अश्वगंधा, बाला, त्रिकटु, लहसुन
कुछ टिप्स जो हैं खास
स्पांडिलाइटिस की प्रॉब्लम न हो और आपकी नेक की भी पूरी एक्सरसाइज हो इसके लिए आर्थोपैडिक सर्जन और फिजियोथेरेपिस्ट डॉ। केपी सैनी ने कुछ रास्ते सुझाए हैं।
-गर्दन की मसल्स को डेली स्ट्रेच करें।
-वर्किंग टाइम में हर दो घंटे बाद मेंटली रिलेक्सेशन के साथ फिजिकली रिलेक्सेशन पर ध्यान दें।
-आगे, पीछे, ऊपर, नीचे इन चारों मूवमेंट को दिन में कम से कम 10 बार करें।
-लंबे समय तक अनकंफर्टेबल न बैंठें।
-शीशे के सामने बैठकर सेल्फ चेकिंग करें। आपके बैठने के पॉश्चर में कोई गलत आदत हो तो उसे दूर करें।
-हमेशा एक ही तरफ से फोन न रिसीव करें।
-मॉर्निंग एक्सरसाइज में बैक और नैक के लिए रिलेक्सिंग एक्सरसाइज को जरुर शामिल करें।
ये एक्सरसाइज स्पांडिलाइटिस में भी कारगर है-
-पैरों को खोल कर खड़े हो जाएं।
-लेफ्ट लेग को एक स्टेप आगे बढ़ाएं।
-लेफ्ट हैंड को आगे निकालें।
-लेफ्ट हैंड की मुट्ठी बांधें और आंखों के लेवल तक ऊंचा करें।
-चेहरे को लेफ्ट की तरफ रखें और मुट्ठी बंधा हाथ सामने रखें।
-राइट हैंड को लेफ्ट हैंड के बराबर लाएं।
-सांस को अंदर लेते हुए राइट हैंड को पीछे की तरफ खींचते हुए आंखों के पास तक लाएं और साथ ही बॉडी को भी पीछे की तरफ झुकाएं। बॉडी की शेप धनुष चलाने जैसी होगी।
-जितनी देर हो सके इस पॉश्चर में अपनी सांस को रोकें।
-सांस छोड़ें और दोबारा इसी एक्सरसाइज को दोहराएं।
'स्पांडिलाटिस अब लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारी की शक्ल ले चुकी है। हमारे उठने-बैठने का तरीका इस बीमारी को बढ़ावा देता है। सही पॉश्चर को अपनाना बहुत जरूरी है.'
-डॉ। यशस्वी अग्रवाल, फिजियोथेरेपिस्ट