मेरठ (ब्यूरो)। शहर की आबोहवा को सुधारने के लिए नगर निगम हर साल बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन साल खत्म होते-होते सारे दावे धराशाई हो जाते हैैं। यकीन नहीं आता न, मगर यही हकीकत है। उदाहरण के तौर पर ग्रीन बेल्ट को ही ले लीजिए। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए निगम को अपने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पौधरोपण कर ग्रीन बेल्ट विकसित करनी थी। प्लानिंग बनी, और दो साल पहले धरातल पर ग्रीन बेल्ट दिखाई भी दी। मगर आज रख-रखाव के अभाव में ग्रीन बेल्ट कूड़ा स्थल में तब्दील हो चुकी है।
जरा समझ लें
दो साल पहले 15वें वित्त आयोग से मिली धनराशि में करीब 72 करोड़ रुपये वायु गुणवत्ता सुधार के लिए नगर निगम को मिले थे। इसके तहत वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पानी छिड़काव की मोबाइल स्प्रिंकलर मशीन, रोड स्वीपिंग मशीन, एंटी स्माग गन मशीन खरीदी गई थी। वहीं दूसरी ओर ग्रीन बेल्ट विकसित करने के लिए वृहद पौधरोपण की योजना भी बनाई गई थी। जिसमें नीम, पीपल, जामुन, बरगद और इमली जैसे पौधे लगाए जाने थे। इसके तहत शहर की सड़कों के किनारे, पार्कों में पौधारोपण तो हुआ लेकिन एक भी प्रमुख पौधे का रोपण नहीं हो पाया।
माधवपुरम के हालात जस के तस
इस योजना के तहत हर साल उन जगहों को चिन्हित किया जाता है, जहां सड़क के किनारे या बीच में ग्रीन बेल्ट है। वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए माधवपुरम की सेंट्रली ग्रीन बेल्ट को विकसित किया जाना था। प्लानिंग के तहत ग्रीन बेल्ट में पौधों की देखभाल, ट्री गार्ड लगाने व टैंकर के माध्यम से सिंचाई आदि का कार्य किसी एजेंसी को पांच साल तक के लिए देने की योजना थी। मगर ऐसा हो न सका और आज स्थिति यह है कि माधवपुरम की ग्रीन बेल्ट में जगह-जगह जलभराव और कूड़े के ढेर दिखाई देते हैैं।
ना हुई कोडिंग
वहीं ग्रीन बेल्ट में लगाए गए पौधों की देखभाल के लिए प्रत्येक पौधों की कोडिंग कराए जाने की योजना भी निगम ने तैयार की थी। जिससे शहर के लोग या स्वयंसेवी संस्थाएं नगर निगम के पोर्टल पर उन पेड़ों के संबध में जानकारी ले सकेंगे और फीडबैक भी दें। जिससे हर हाल में पौधों का संरक्षण व संवर्धन किया जा सकेगा। लेकिन ग्रीन बेल्ट में लगे एक भी पौधे की कोडिंग नहीं हो सकी।
वायु गुणवत्ता सुधार के लिए जगह-जगह ग्रीन बेल्ट में वाटर स्प्रिंकल, एंटी स्मोग गन और पानी के टैंकरों से लगातार छिड़काव किया जाता है। कई जगह ग्रीन बेल्ट और विलोपित कूड़ा स्थल विकसित किए जा चुके हैं। माधवपुरम में जलनिकासी की समस्या पर काम हो रहा है। जल्द सुधार दिखेगा।
प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त