10 सितंबर को मनाई जाएगी गणेश चतुर्थी, बप्पा की मूर्तियों से सजी दुकानें

गणेश जी की मूर्ति में जरूरी है उनका वाहन और मोदक

Meerut। गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को मनाई जाएगी। इसके लिए गणपति की मूर्तियों की बिक्री और त्योहार की अन्य तैयारियां शुरू हो गई हैं। भगवान गणेश की छोटी-बड़ी मूर्तियां भक्तों को मोहित कर रही हैं। 11 दिन तक चलने वाले इस पर्व को शहर में कई स्थानों पर मंडप सजाकर मनाया जाता है। इस पर्व पर भक्त घर और मंडप में गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर 11 दिन तक उनकी सेवा करते हैं, और अनंत चतुर्दशी के दिन मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस बार बाजार में आर्ई अधिकांश मूर्तियां ईको फ्रेंडली हैं, जो दस मिनट में ही पानी में घुल जाती हैं।

हर मूर्ति का महत्व अलग

गणपति की हर मूर्ति का महत्व अलग होता है। इसलिए मूर्ति लेते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। भगवान गणेश की मूर्ति जब घर लाई जाती है, तो नियम और पूरी निष्ठा के साथ उनकी पूजा की जाती है। बप्पा का हर रूप मंगलकारी और विघ्ननाशक है। इसके बावजूद मूर्ति लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

मूर्ति में आवश्यक हैं ये तत्व

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत का कहना है कि गणेश जी की मूर्ति में उनका वाहन चूहा उनके साथ जरूर होना चाहिए। गणेश जी आशीर्वाद की मुद्रा में और उनके एक हाथ में मोदक भी होना चाहिए। गणेश जी की सूंड बाई ओर होनी चाहिए, ऐसी मूर्ति को ही वक्रतुंड माना जाता है। जहां तक संभव हो मिट्टी की मूर्ति ही घर लाएं। घर के केंद्र में मूर्ति की स्थापना कर पूजा अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें की मूर्ति के आसपास अन्य दूसरी कोई मूर्ति न हो। गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर हो तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

घर के लिए छोटी और मंडप के लिए तैयार हैं बड़ी मूर्तियां

थापर नगर स्थित गणपति मूर्ति कला केंद्र के मूर्तिकार विक्की प्रजापति ने बताया कि इस साल अधिकतर ईको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की गई हैं। इनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता है। छह इंच से लेकर साढ़े छह फीट तक की मूर्तियां हाथ से तैयार की गई हैं। इनकी कीमत सौ रुपये से पांच हजार रुपये तक है। मेरठ की बनी मूर्तियां देहरादून, सहारनपुर, गाजियाबाद, दिल्ली तक जा रही हैं।

मूर्तियों में छाए गणपति के कई रूप

थापर नगर स्थित अजंता मूर्ति कला केंद्र के मूर्तिकार मनोज प्रजापति का कहना है कि गणेशजी मूर्ति में हर बार की तरह इस बार भी लाल बाग के राजा, दगडू सेठ, अष्टविनायक, अमरावती के गणेश, सिद्धि विनायक, बाल गणेश, टेटूआ गणपति, श्रृंगार गणेश और पगड़ी वाले गणेश की मांग है। चार इंच से लेकर चार फीट तक की मूर्तियां तैयार की गई हैं। इनकी कीमत सौ रुपये से 15 हजार रुपये तक है।