मेरठ (ब्यूरो)। डिजिटलाइजेशन के दौर में सोशल मीडिया भी लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं। घर से स्कूल-कॉलेज तक छेडऩे करने वाले अब यहां भी तंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर लड़कियों के अकाउंट से इंर्फोमेशन निकालना, फोटो और पर्सनल डिटेल्स लेकर फिर उन्हें ब्लैकमेल करना शोहदों का शगल बन चुका है। शहर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में कई लड़कियों ने आपबीती सुनाई।
हिस्ट्री निकाल करते हैं परेशान
छेड़छाड़ की शिकार लड़कियां बताती हैं कि लड़के सिर्फ पीछा नहीं करते हैं। मोबाइल नंबर, घर का पता सब निकाल लेते हैं। सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं। फोटो निकाल कर ब्लैकमेल तक करते हैं। कुछ लड़कियों ने बताया कि मोबाइल पर अश्लील मैसेज भेजते हैं। एडवांस तकनीक से फोटो मॉर्फ कर गलत तस्वीरें बनवा लेते हैं। घरवालों को भेजने के नाम पर फिर जबरन दोस्ती करने का दबाव बनाते हैं।
डर और शर्म बनी रुकावट
छेड़छाड़ की शिकार लड़कियां बताती हैं कि डर और शर्म की वजह से वह आवाज नहीं उठा पाती हैं। घर परिवार, समाज और इज्जत के डर से अक्सर लड़कियां चुप ही रहती हैं। मामला अगर गंभीर होता है तब ही किसी को बताती हैं। जिसकी वजह से भी मनचलों का हौसला बढ़ जाता है। कुछ लड़कियां डर की वजह से घर बैठ जाती है। लड़कियां बताती हैं कि उन्हें डर रहता है कि घर में बताते ही सबसे पहले उनकी पढ़ाई या काम छुड़वा दिया जाएगा। बात बिगड़ी तो दुश्मनी का डर भी रहता है। वह बताती हैं कि समाज में अभी भी इस बात का खुलकर विरोध नहीं हो सकता है। ऐसे मामलों में लड़कियों को ही गलत माना जाता है।
इनका है कहना
लड़कियां डर की वजह से आवाज नहीं उठा पाती हैं। इसी का फायदा मनचले उठाते हैं। इसके लिए जागरूकता जरूरी है। लड़कियों को अब जागरूक होना होगा।
अनीता राणा, फाउंडर, जनहित फाउंडेशन
हमें चाहिए कि समाज में जागरूकता लेकर आएं। पेरेंटस भी बच्चों को अच्छे संस्कार दें ताकि समाज से छेड़छाड़ जैसे मुद्दों को खत्म किया जा सके।
कल्पना पांडे, अध्यक्ष, सारथी संस्था
लड़कियों को आवाज उठानी चाहिए। समाज में तभी जागरुकता आएगी। चुप की वजह से ही लड़कों के हौंसले बढ़ते हैं। एक को सजा मिलेगी, दस को सबक आएगा। कानून का डर बनेगा।
प्रीति त्यागी, फाउंडर, काव्यांजलि संस्था