क्यों आई थी मशीन
नगर निगम ने 40 लाख रुपये की लागत से प्लास्टिक बर्नर मशीन मंगाई थी। दावा था कि इस मशीन से शहर के प्लास्टिक कचरे को जलाकर निस्तारित किया जाएगा। बीते साल धूमधाम से इसका उदघाटन भी नगरायुक्त अरविंद चौरसिया ने किया था।
अब क्या हुआ
अब हालत यह है कि मशीन का उपयोग सिर्फ उद्घाटन समारोह में ही किया गया। इसके बाद प्लास्टिक बर्नर मशीन का उपयोग एक बार भी कूड़े को निस्तारित करने में नहीं किया गया। जिस कारण मशीन खड़ी खड़ी कबाड़ बन रही है।
क्या है मुश्किल
40 लाख रुपये से लाई गई प्लास्टिक बर्नर मशीन के उद्घाटन समारोह के बाद से ही दिक्कते शुरू हो गई। शहर के पर्यावरणविदों का मानना है कि मशीन से निकलने वाले धुएं से शहर की आबोहवा प्रदूषित होगी, इससे मशीन का संचालन एक बार भी नहीं हो सका।
40 लाख रुपये की प्लास्टिक बर्नर मशीन एक साल में बन गई कबाड़
बीते वर्ष जून माह में किया गया था मशीन का उद्घाटन
2 मशीनें खरीदीं गई थी मनोज चौहान के कार्यकाल में
40 लाख की मशीन में प्लास्टिक कूड़ा जलकर नष्ट हो जाता है
साल भर से नहीं हो सका मशीन का प्रयोग, मशीन हुई खराब
Meerut। शहर को प्लास्टिक कचरे से मुक्ति दिलाने के लिए नगर निगम हर साल करोड़ों रुपए का बजट खर्च कर योजनाएं तो बनाता है लेकिन वह योजनाएं परवान चढ़ने से पहले ही धड़ाम हो जाती हैं। इन योजनाओं की आड़ में निगम का बजट तो ठिकाने लग जाता ह,ै लेकिन समस्या दूर नही होती है। हम बात कर रहे हैं नगर निगम द्वारा गत वर्ष जून माह में शहर में लगाई गई शहर के प्लास्टिक कचरे को जलाकर नष्ट करने वाले अत्याधुनिक मशीन की जिसको लगे एक साल से अधिक का समय हो गया है लेकिन आज तक मशीन का प्रयोग नही किया गया। हालत यह है कि मशीन खडे़-खडे़ ही खराब हो गई है और निगम को इसकी सुध भी नही है।
40 लाख की मशीन हुई खराब
गत वर्ष जून माह में नगर निगम द्वारा बच्चा पार्क पर शहर के प्लास्टिक कचरे को जलाकर नष्ट करने वाले इस अत्याधुनिक मशीन का उदघाटन किया गया था। पूर्व नगरायुक्त मनोज चौहान के समय में इस प्रकार की दो मशीनें खरीदी गई थी। जिसका उदघाटन नगरायुक्त अरविंद चौरसिया ने बच्चा पार्क पर किया था। करीब 40 लाख की इस मशीन में प्लास्टिक का कूड़ा डालने के बाद कुछ ही देर में कूड़ा जलकर नष्ट हो जाता है। इस खासियत के साथ यह मशीन लगाई गई कि रोजाना शहर में जगह जगह आने वाला प्लास्टिक कचरा इस मशीन से नष्ट कर दिया जाएगा। ताकि शहर की नाले नालियों में प्लास्टिक ना भरे और उसको नष्ट किया जा सके।
प्रदूषण के फेरे में फंसी मशीन
हालत यह है कि मशीन एक साल में सिर्फ उदघाटन के समय एक बार ही चलकर रह गई। इसके बाद ना तो मशीन को ऑन किया गया और ना ही कचरा जलाया गया। शहर के कुछ जागरुक नागरिकों ने इस मशीन से पर्यावरण को नुकसान बताते हुए आपत्ति डाल दी। आरोप था कि मशीन में जलने वाले प्लास्टिक से निकलने वाले धुएं से शहर के आबोहवा दूषित होगी। इसके बाद से नगर निगम ने भी इस मशीन का उपयोग करना ही बंद कर दिया। सालभर में मशीन खडे़ खडे़ खराब हो चुकी यहां तक की इसके पार्टस तक गायब हो चुके हैं लेकिन ना तो निगम इस मशीन का विकल्प तलाश रहा है और नाही इस मशीन का कुछ दूसरा उपयोग सोचा जा रहा है। कुल मिलाकर बजट में से 40 लाख रुपए इन मशीन पर खर्च कर खानापूíत कर दी गई।
इस मशीन के प्रयोग में कुछ तकनीकी खामियां सामने आई थीं। मशीन से पॉल्यूशन हो रहा था, इसलिए इसका प्रयोग फिलहाल बंद है। मशीन में कुछ बदलाव कराने के बाद इसका प्रयोग किया जाएगा।
डॉ। गजेंद्र, नगर स्वास्थ्य अधिकारी