मेरठ (ब्यूरो)। ट्रैफिक रुल्स के साथ स्मार्ट ड्राइविंग की सीख के लिए मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट बनाया गया था। इसका निर्माण मई 2022 में हुआ था। इस दौरान कई दावे हुए थेे। लोगों को स्मार्ट ड्राइविंग सिखाई जाएगी। पर रखरखाव न होने से हालत बद से बदतर हो गई है। अब यह इंस्टीट्यूट स्मार्ट ट्रेनिंग तो नहीं बल्कि डीएल जारी करने तक सीमित हो गया है। इस इंस्टीटयूट के पास ना तो आवेदकों को ड्राइविंग ट्रेनिंग देने के लिए कार है और ना ही हैवी व्हीकल सिखाने के लिए सिमुलेटर तक चालू है, जबकि नाम के लिए हैवी व्हीकल सिम्यूलेटर विभाग को मिला हुआ है पर कमरे में बंद है। कुल मिलाकर सेंटर बस नाम तक ही सीमित है।

नहीं मिल रही ट्रेनिंग
गौरतलब है कि साकेत आईटीआई परिसर में बने इंस्टीट्यूट को बने हुए दो साल से अधिक हो गया है, लेकिन जिन दावों के साथ यह इंस्टीट्यूट शुरु किया गया था। वह अधूरा है। दावा था कि इस इंस्टीटयूट में एक ही स्थान पर लोग पहले वाहन चलाना सीखेेंगे, फिर यातायात के नियमों को जानकर सड़क पर गाड़ी लेकर उतरेंगे। इसके लिए बकायदा स्मार्ट बोर्ड पर ट्रैफिक के नियमों की क्लॉस चलेगी, इस क्लॉस में ट्रेनिंग लेने के बाद चालक वाहनों पर प्रैक्टिस करेेंगे। इसके लिए बकायदा सिम्युलेटर पर व्हीकल ट्रेनिंग दी जाएगी, लेकिन ऐसा नही हुआ।

ऑटोमेशन सिस्टम भी खराब
फोर व्हीलर के लिए स्थाई हैवी लाइसेंस बनवाना है तो वाहन लेकर ही ट्रेनिंग सेंटर पहुंचना पड़ता है।

इस अत्याधुनिक मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर पर न तो ऑटोमेशन सिस्टम है और न ही डीएल के आवेदक से चलवाने के लिए कार है।

व्हीकल टेस्ट के दौरान खुद आरआई को ही कर्मचारियों के साथ ट्रैक पर खड़ा होना पड़ता है।

नियमानुसार ट्रेक ऑटोमेशन सिस्टम से लैस होना चाहिए।

आरआई अपने कमरे में बैठकर ही ट्रैक पर वाहन चलाने वाले को देख सकते हैं

तालों में बंद स्मार्ट सुविधाएं
इतना ही नही हैवी व्हीकल की ट्रेनिंग के दो साल पहले सिम्युलेटर तक विभाग को मिल चुका है लेकिन आज तक सिम्युलेटर कमरे में बंद है। स्मार्ट क्लास के लिए बकायदा दो क्लॉस रूम तैयार किए गए थे, स्मार्ट बोर्ड, प्रोजेक्टर, स्पीकर तक लगने बाद भी दो साल से क्लास रूम पर ताला लगा हुआ है। आज तक स्मार्ट ट्रेनिंग क्लास रूम पर ताला लगा हुआ है। सिम्युलेटर अभी तक बंद कमरे में धूल फांक रहा है और ड्राइविंग टेस्ट के लिए कार तक विभाग के पास उपलब्ध तक नही है।

सिर्फ खानापूर्ति होती है। दलाल के माध्यम से आने वाले आवेदकों का तो ड्राइविंग टेस्ट तक नही होता है। कुछ भी स्मार्ट या हाईटेक नही है।
औवेस खान

यहां सब व्यवस्थाएं पुराने कार्यालय की तरह ही हैं। फिर इस नए परिसर के नाम पर चार करोड़ का बजट खर्च करने की जरुरत ही क्या थी।
मयंक

इससे पहले पुराने परिसर में पूरी नई बिल्डिंग तैयार की गई थी वहां स्मार्ट क्लास रूम, टेस्ट रूम तक तैयार किया गया था। उस पर करोड़ों रुपए का बजट खराब किया गया था।
प्रमोद

मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीटयूट प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित किए जाने हैं। जल्द यह व्यवस्था शुरु होने वाली है। इसके लिए मारुति और होंडा कंपनी के अधिकारी संस्थान का निरीक्षण कर चुके हैं।
राहुल शर्मा, आरआई, संभागीय परिवहन विभाग