मेरठ (ब्यूरो). बेशक दुनिया का दो तिहाई हिस्सा पानी से सराबोर है, लेकिन वाटर लेवल कम होने के चलते मेरठ डार्क डोन में हैं। ऐसे में एक अनुमान के मुताबिक होली खेलने वाला हर व्यक्ति रोजमर्रा से पांच गुना ज्यादा पानी होली पर वेस्ट करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे शहर में होली खेलने के दौरान हजारों लीटर पानी बर्बाद होता है। ऐसे में हमें कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए, जिससे होली का मजा बरकरार रहे और पानी का मिसयूज भी न हो।
अबीर-गुलाल वाली होली
मेरठ जनपद को डार्क जोन से निकालने के लिए जरुरी है कि हम होली जैसे त्योहारों पर जरूरत के अनुसार ही पानी का प्रयोग करें। दरअसल, पेयजल का स्तर लगातार घटता जा रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में पीने के पानी की भी किल्लत हो जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि हम पानी को बचाते हुए रंगों वाली होली का मजा ले सकें। ऐसे में होली पर जितने पानी की जरूरत हो, उतना ही प्रयोग करें। इसके लिए जरुरी है कि सूखे रंगों जैसे अबीर, गुलाल, फूल और चंदन की होली खेली जाए।
घट रहा वाटर लेवल
भूगर्भ विभाग के आंकडों पर यदि नजर डालें तो भूगर्भ जल विभाग शहर में 50 से अधिक स्थानों पर पीजोमीटर के जरिए भूजल स्तर की मॉनिटरिंग कर रहा है। हर साल मानसून से पहले और मानसून सीजन खत्म होने के बाद भूजल स्तर की रीडिंग ली जाती है। मगर आंकड़ों की मानें तो अधिकतर सभी स्थानों पर ग्राउंड वाटर लेवल घट रहा है। इसका प्रमुख कारण बेहिसाब ग्राउंड वाटर का दोहन है। हर घर में सबमर्सिबल का प्रयोग इस वाटर लेवल के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है। गौरतलब है कि घरों समेत निजी संस्थानों, होटलों, गैराज में जमकर पानी का दोहन हो रहा है लेकिन इसकी निगरानी नहीं हो पा रही है। इसी के चलते पिछले पांच साल में वाटर लेवल 300 सेमी से नीचे जा चुका है।
ये हैं शहर के ब्लॉक वार डार्क जोन (मीटर में)
जगह 2015 2021
जेलचुंगी 22.97 24.14
करन पब्लिक स्कूल 21.50 22.94
खड़ौली 14.25 13.97
एमआईइटी 13.81 16.88
पीएसी 14.15 16.90
दायमपुर 11.38 13.61
जटौली 14.61 17.71
सीएवी 20.84 21.56
जयभीम नगर 19.63 23.60
कुटी 22.87 25.39
नौचंदी 24.04 25.25
दुर्गाबाड़ी 9.95 12.72
लिसाड़ी 18 20.98
घोसीपुर 18.95 22.49
सरायकाजी 16.57 19.30
विवि कैंपस 21.78 22.18
पॉलिटेक्निक परतापुर 9.30 14.35
अब्दुल्लापुर 18.52 20.42
मेडिकल कॉलेज 22.22 23.30
क्या है डार्क जोन
भूगर्भ जल में गिरावट के स्तर के आधार पर विकास खंडों को सेफ, सेमी क्रिटिकल, क्रिटिकल और अति दोहित श्रेणी यानि डार्क जोन में रखा जाता है।
90 प्रतिशत से ज्यादा जल निकासी और प्री मानसून या पोस्ट मानसून (दोनों में से एक) सीजन में भूगर्भ जल में 20 सेंटीमीटर से ज्यादा गिरावट होने पर उस ब्लॉक को क्रिटिकल श्रेणी में रखा जाता है।
90 प्रतिशत से ज्यादा जल निकासी और प्री-मानसून व पोस्ट मानसून (दोनों में) सीजन में भूगर्भ जल में 20 सेंटीमीटर से ज्यादा गिरावट होने पर अतिदोहित (डार्क) श्रेणी में रखा जाता था।
70-90 प्रतिशत जल निकासी और प्री या पोस्ट मानसून सीजन में से किसी एक में भूजल स्तर में 20 सेंटीमीटर से ज्यादा गिरावट होने पर उस ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल श्रेणी में रखा जाता था।
एनसीआर में भूजल स्तर गिरावट
शहर प्रति वर्ष गिरावट (सेंटीमीटर में)
प्री-मानसून पोस्ट मानसून
गाजियाबाद 130.31 97.49
नोएडा 57.79 55.32
ग्रेटर नोएडा 52.38 49.58
मेरठ 26.07 44.21
बुलंदशहर 26 20.45
मुजफ्फरनगर 25.54 27.53
शामली 21.20 23.20
कोट्स
होली रंगों का त्योहार हैं और उसे रंगों के साथ ही मनाया जाना चाहिए। पानी का प्रयोग जरूरी हो तभी करें क्योंकि हमारा शहर डार्क जोन में हैं। लगातार ग्राउंड वाटर लेवल घट रहा है। यह चिंता की बात है। रिहायशी इलाकों में सबमर्सिबल से पेयजल का बहुत अधिक दोहन हो रहा है। इसको रोकने की जरुरत है।
नवरत्न कमल, सहायक भू-भौतिकी विधि अधिकारी
मेरठ के कई क्षेत्रों में भूजल स्तर बहुत तेजी से गिर रहा है। सरकारी विभागों के साथ-साथ लोगों को भी भूजल स्तर बढ़ाने के संयुक्त प्रयास करने होंगे। इसके लिए बड़े घरों में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने चाहिए ताकि पानी को रीयूज करने की व्यवस्था हो सके। साथ ही हम होली पर भी पानी का कम प्रयोग कर जल संरक्षण में सहयोग कर सकते हैं।
आशीष गुप्ता, सहायक भू-भौतिकी विधि अधिकारी
होली के जितनी हो सके कोशिश करें कि पानी का मिसयूज न करें। सूखे रंगों में अबीर और गुलाल के साथ त्योहार मनाएं क्योंकि हम पहले से डार्क जोन में हैं। वाटर लेवल लगातार कम हो रहा है। ऐसे में हम थोड़ा थोड़ा प्रयास करके वाटर लेवल में सुधार कर सकते हैं।
रवि कुमार, बूंद फाउंडेशन