मेरठ (ब्यूरो)। पहले दो साल कोरोना का वार और फिर मौसम की मार से गुलाब और गेंदा के फूलों की खेती करने वाले किसान पूरी तरह टूट चुके हैं। अब किसानों ने फूलों की खेती से मुंह मोडऩा शुरू कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि जनपद में 400 एकड़ में होने वाली फूलों की खेती अब सिमटकर करीब 200 एकड़ में रह गई है। इसका असर भी नवरात्र पर बिकने वाली फूलों की माला के रूप में दिखा। इतना ही नहीं, यही हाल रहा तो आने वाले शादियों के सीजन में गुलाब और गेंदा का फूल दोगुने दाम पर बिकेगा।

कोरोना की मार से खेती हुई कम
शहर की बात करें तो जनपद के विभिन्न इलाकों में लगभग 400 एकड़ में गेंदा और गुलाब के फूल की खेती होती है। सबसे अधिक हापुड बाईपास, नूरनगर और लिसाड़ी गांव रोड पर फूलों की खेती देखने को मिलती है। अकेले इस क्षेत्र में ही करीब 125 एकड़ पर किसान सालों से गेंदे और गुलाब समेत अन्य फूलों की खेती कर रहे हैं। मगर पिछले दो साल से कोरोना के कारण भारी नुकसान उठाने के बाद अब फूलों की खेती से किसानों का मोह भंग होने लगा है। इसका असर है कि कोरोना की मार के बाद इस साल 400 में करीब 180 से 225 एकड़ में फूलों की खेती बंद हो गई। ये भी कौन भूल सकता है कि कोरोना के दौरान फूलों की बिक्री न होने के कारण किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलवा दिए थे। इतना ही नहीं, इसके बाद साल भर किसानों ने फूलों की खेती ही नहीं की थी। अब कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद जैसे तैसे किसानों ने फूलों की खेती शुरू की है लेकिन खेती का रकबा कम कर दिया।

फूलों के रेट बढ़ेंगे
फूलों की खेती कम होने के कारण इस माह नवरात्र में गेंदे का फूल महंगा रहा। गेंदे के रेट पर 80 से 120 रुपए किलो तक रहे लेकिन यह बिक्री नवरात्र तक ही सीमित रही। अब फूलों की कम पैदावार का असर शादियों के सीजन में दिख सकता है।

कोटस-
कोरोना और मौसम की मार से फूलों की फसल को बहुत नुकसान हुआ है। ऐसे में खेती का ट्रेंड बदल रहा है। मैं खुद 150 बीघा में फूल की खेती करता था। अब 40 बीघा में पारंपरिक खेती में जुट गया हूं।
महिपाल सिंह, किसान

पहले बड़े पैमाने में फूल की खेती करता था। गुलाब के फूलों की मांग ज्यादा थी। शादी-विवाह और धार्मिक स्थलों पर बिक्री होती थी लेकिन कोरोना के दौरान नुकसान हो गया। इसलिए खेती कम कर दी है।
रघुवीर, किसान

पहले फूलों को हम लोग दिल्ली में सप्लाई करते थे। वहां से विदेशों में भेजा जाता था। मगर कोरोना के कारण दो साल आर्डर ही नहीं मिले। अब लोकल स्तर कारोबार जिंदा है, ऐसे में अधिक पैदावार का फायदा नहीं है।
जयप्रकाश, किसान

कोरोना में सरकार से किसी प्रकार की मदद या अनुदान किसानों को नहीं मिला। किसानों ने अपनी खड़ी फसल को आग लगा दी। ऐसा इस बार न हो इसलिए हम जैसे किसान दूसरी फसलों का सहारा ले रहे हैं।
देवेंद्र, किसान