- रेप, पास्को, जुवेनाइल समेत 6 तरह के मामलों में सावधानी बरतने के निर्देश
- पीडि़त पक्ष को कंप्यूटराइज्ड कॉपी के बदले मैनुअल एफआईआर की कॉपी दी जाएगी
Meerut : रेप और पास्को एक्ट जैसे गंभीर मामलों की एफआईआर अब ऑनलाइन नहीं की जाएगी। वर्तमान में सभी मामलों की एफआईआर ऑनलाइन अपलोड किया जाता किया है। रेप और पास्को समेत 6 मामलों के एफआईआर को ऑनलाइन अपलोडिंग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसा इसलिए ताकि पीडि़त और आरोपी पक्ष की पहचान सार्वजनिक रूप से उजागर न हो सके। हाईकोर्ट के आदेश के बाद डीजीपी के निर्देश पर एसएसपी ने सभी थानों को इसके लिए जरूरी निर्देश जारी कर दिए हैं। पीडि़त पक्ष को मैनुअल एफआईआर की कॉपी ही दी जाएगी। किसी ने गलती से उसे ऑनलाइन अपलोड कर दिया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
वेबसाइट पर होते हैं अपलोड
क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के तहत अब सभी मामलों की एफआईआर को ऑनलाइन अपलोड किया जाता है। इसके लिए थानों के पुलिसकर्मियों को बाकायदा ट्रेनिंग भी दी गई थी। मेरठ शहर के सभी थानों में कंप्यूटराइज्ड एफआईआर पंजीकृत की जाती है। पीडि़त पक्ष को ऑनलाइन एफआईआर की कॉपी ही उपलब्ध कराई जाती है। ये सभी एफआईआर यूपी पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं।
ये मामले नहीं होंगे ऑनलाइन
पुलिस विभाग ने कुछ मामलों के एफआईआर को ऑनलाइन अपलोड करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। रेप से जुड़ी सभी धाराएं 376, 376ए, 376बी, 376सी, 376डी, 376ई और 377 के मामले ऑनलाइन नहीं किए जाएंगे। यही नहीं पाक्सो एक्ट व जुवेनाइल एक्ट के तहत किए गए क्राइम, आतंकवादी व उग्रवादी घटनाएं, ऑफिशियल सिक्रेट एक्ट, और सांप्रदायिक घटनाओं से जुड़े मामलों की एफआईआर भी ऑनलाइन नहीं की जाएगी। फिर भी यदि कहीं पर बहुत जरूरत महसूस की जा रही हो तो इसके लिए कम से कम एसपी रैंक के अधिकारी की परमीशन लेनी होगी।
ये मामले बेहद गंभीर होते हैं। इन मामलों में नाम सार्वजनिक न किए जाने के आदेश हैं। ऐसे में ऑनलाइन होने से सार्वजनिक होने का खतरा है। इसलिए इन मामलों के एफआईआर ऑनलाइन नहीं होंगे।
- डीसी दूबे, एसएसपी