मेरठ (ब्यूरो)। बूंद फाउंडेशन द्वारा शहर के 17 प्रमुख इलाकों में पेयजल का सैंपल विभिन्न स्त्रोत जिनमें हैंड पंप, घर में पानी की टोंटी और आरओ से एकत्र किया गया। इस सैंपल की जांच डीएन कालेज स्थित सॉयल एंड वाटर एनालाइसिस लैब द्वारा की गई। सैंपल की जांच के जो रिपोर्ट सामने आए उसके अनुसार शहर के कई वीआईपी इलाकों के पेयजल में टीडीएस की मात्र खतरे के लेवल को पार कर चुकी है।
क्षेत्रों की हालत खराब
इस रिपोर्ट के अनुसार 17 में 10 क्षेत्र ऐसे हैं, जिनका टीडीएस लेवल 600 पार है यानि यह पानी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला है। इसके अलावा इन 10 में से ही पांच इलाकों में पानी में टीडीएस लेवल 800 के पार यानि बहुत ही खतरनाक स्तर पर है। इनमें मोहनपुरी, खंदक बाजार, बुढाना गेट, छीपी टैंंक, जागृति विहार सेक्टर-2 शामिल हैं। गौर करने वाली बात है कि इन इलाकों के आसपास 500 मीटर के दायरे में शहर के कुछ प्रमुख नाले गुजर रहे हैं। इसलिए इन इलाकों में हैंड पंप से आने वाले पानी का टीडीएस स्तर बिगड़ता जा रहा है।
एक नजर में
क्षेत्र टीडीएस
मंगलपांडेय नगर 457
कुटी 498
घंटाघर 176
मोहनपुरी 993
सेंट्रल मार्केट 515
सूरजकुंड रोड 652
छिपी टैंक 857
खैरनगर 595
डिग्गी 247
जागृति विहार सेक्टर-6 551
जागृति विहार सेक्टर-2 858
बुढ़ाना गेट 991
फूलबाग कालोनी 457
लिसाड़ी गेट 744
इस्लामाबाद 797
वैशाली कालोनी 684
खंदक बाजार 973
हाई रिस्क में टीडीएस
मोहनपुरी 993
बुढ़ाना गेट 991
खंदक बाजार 973
जागृति विहार सेक्टर 2 858
छिपी टैंक 857
टीडीएस क्या होता है
टीडीएस का फुल फॉर्म टोटल डिजोल्विंग सोल्यूशन है। यानि टीडीएस एक जल की गुणवत्ता नापने का पैरामीटर है जो पानी में गंदगी, अकार्बनिक सामग्री, प्राकृतिक कणों, धातुओं, रसायनों, पदार्थों, लवणों और कार्बनिक पदाथो की कुल मात्रा को मापता है। यानि पानी का टीडीएस जितना अधिक होगा, उसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कार्बोनेट, नाइट्रेट, सोडियम, भारी धातु, क्लोराइड और सल्फेट जैसे कार्बनिक यौगिकों और अकार्बनिक लवण अधिक होंगे।
हाई टीडीएस से नुकसान
टीडीएस की मात्रा 500 से कम है तो यह पीने योग्य माना जाता है। लेकिन यह 250 से कम भी नही होना चाहिए। 500 से अधिक टीडीएस सेहत के लिए नुकसानदायक होना शुरू हो जाता है। 600 से पार यह खराब माना जाता है और 800 के बाद पानी पीने योग्य नहीं होता है। हाई टीडीएस से पानी को कठोर बन जाता है इस पानी में दो खनिज पदार्थ, कैल्शियम और मैग्नीशियम खनिज आयन जिम्मेदार हैं। इससे शरीर में पथरी की संभावना बन जाती है। टीडीएस के कुछ घटक जैसे कीटनाशक, सीसा, आर्सेनिक और फ्लोराइड मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं।
शहर के भूगर्भ जल स्तर से लेकर घरों में सप्लाई होने वाले पानी की क्वालिटी की हमने जांच कराई थी। इनके सैंपल में से अधिकतर सैंपल में टीडीएस की मात्रा अधिक मिली है। जो कि मानकों से काफी अधिक है। भूगर्भ में कई हानिकारक तत्व घुल रहे हैं इससे टीडीएस बढ़ रहा है।
रवि कुमार, बूूूंद फाउंडेशन, अध्यक्ष