मेरठ (ब्यूरो)। हालत यह है कि एनजीटी के आदेश के बावजूद 56 हजार से ज्यादा बैन वाहन सिटी की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। यही नहीं, 22 हजार वाहनों को तो आरटीओ नोटिस तक भेज चुका है। उन सभी वाहनों को जिले से बाहर संचालित करने की एनओसी भी जारी की गई है, लेकिन फिर भी य वाहन सड़कों पर भर्राटा भर रहे हैं। ऐसे में ये वाहन न सिर्फ पॉल्युशन की वजह है बल्कि शहर में जाम का भी कारण बन रहे हैं।

आईटीएमएस से कसा शिकंजा
सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने के लिए आईटीएमएस यानि इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू है। इससे सिटी में दौडऩे वाले वाहनों पर नजर रखी जा रही है। लिहाजा अब खटारा वाहन आरटीओ की गिरफ्त में आ रहे हैं। सिटी के 8 चौराहों पर आईटीएमएस के तहत अत्याधुनिक कैमरे लगाए गए हैं। जो वाहनों की एक्टिविटी पर नजर रख रहे हैं। साथ ही आरटीओ को रिकार्ड भेज रहे हैं। ऐसे में तकरीबन 1007 खटारा वाहनों की बीते माह में पुष्टि हो चुकी है, जो नोटिस के बावजूद संचालित हो रहे हैं।

22 हजार से अधिक वाहन
गौरतलब है कि अप्रैल 2015 में एनजीटी ने दिल्ली और एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को बैन किया था। इस नियम के बावजूद भी सड़कों पर 56 हजार से अधिक खटारा वाहन दौड़ रहे हैं। इसमें तकरीबन 22 हजार वाहनों को आरटीओ ने दूसरे जिलों में संचालन की एनओसी दी थी। बावजूद इसके, ये वाहन सिटी में बेरोकटोक दौड़ रहे हैं। अब आईटीएमएस के जरिए इन वाहनों की धरपकड़ की जा रही है। साथ ही इनको चालान भेजा जा रहा है।

आईटीएमएस बन रहा मददगार
सिटी की आबोहवा को दूषित करने वाले इन प्रतिबंधित वाहनों को अब सीज किया जा रहा है। विभाग के मुताबिक पिछले एक माह में 281 के अधिक ऐसे वाहनों का चालान काटा गया है। इन वाहनों की आयु पूरी हो चुकी है।

ओल्ड नंबर प्लेट पर कैमरे की नजर
आईटीएमएस की नजर सबसे अधिक एचएसआरपी यानि हाई सिक्योरिटी रजिस्टर्ड नंबर प्लेट के बिना संचालित हो रहे वाहनों पर है। ऐसे में बिना एचएसआरपी के करीब 726 वाहनों की आईटीएमएम से निगरानी हो रही है। इन वाहन मालिकों का डाटा आरटीओ को शेयर किया गया है। इसके बाद वाहन मालिकों को नोटिस भेजा जा रहा है।

मेटाडोर तक दौड़ रही है
मनमानी का आलम यह है कि 25 साल पहले मेटाडोर बंद हो चुकी है। बावजूद इसके, मेटाडोर भी सड़कों पर दौड़ रही है। जिले में करीब 22 हजार से ज्यादा वाहन ऐसे हैं जो बाहरी राज्यों में रजिस्टर्ड हैं और इनका संचालन मेरठ में हो रहा है। इसमें दिल्ली व हरियाणा नंबर के वाहन सबसे ज्यादा हैं। डीजल ट्रक तो 30 से 40 साल पुराने भी सड़कों पर दौड़ते मिल जाते हैं। स्कूल बसें भी 10 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं।

शहर में वैसे भी जाम की समस्या बहुत है। अब ये खटारा वाहन भी समस्या बढ़ा रहे हैं। आईटीएमएस योजना काफी अच्छी है। पर असर दिखना चाहिए।
संजीव अग्रवाल

शहर में पॉल्युशन का एक कारण खटारा वाहन भी हैं। इनसे निकलने वाला धुआं जिंदगी पर भारी पड़ता है। अब थोड़ा सा सुधार होने की उम्मीद है।
मनीष जैन

ट्रैफिक सिस्टम में बेसिक सुधार करने की जरूरत है। खटारा वाहनों को हर हाल में शहर से दूर किया जाए। इससे जाम की समस्या के साथ-साथ प्रदूषण भी दूर होगा।
विकास शर्मा

आईटीएमएस के तहत अब खटारा वाहनों को शहर से बाहर किया जा रहा है। यह अच्छी पहल है, लेकिन जमीनी तौर पर परिवर्तन भी दिखना चाहिए।
अजीत शर्मा

आईटीएमएस चौराहों पर लगे कैमरों के माध्यम से ऐसे वाहनों की धरपकड़ की जा रही है। जिन वाहनों का चालान काटा जा रहा है उनका डाटा एकत्र कर वाहन मालिकों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है। ओल्ड नंबर प्लेट पर विशेष नजर रखी जा रही है खासतौर पर कामर्शियल वाहनों की।
सुधीर कुमार, एआरटीओ