मेरठ (ब्यूरो)। विधानसभा चुनाव के चलते लोहियानगर मंडी में रखी ईवीएम मशीनों की सुरक्षा बंदरों के चलते खतरे में आ गई है। इतना ही नहीं, मथुरा से बंदर पकड़ने के लिए एक टीम भी बीते तीन दिनों से शहर में डेरा डाले हुए हैं। मगर लोहे का जाल लगाकर बंदरों का पकडऩे का प्लान फेल होता जा रहा है। हालांकि टीम ने लोहियानगर के साथ-साथ बंदरों से प्रभावित शहर अन्य क्षेत्रों में भी जाल लगाकर उन्हें पकडऩे का प्रयास कर रही है।

40 प्रतिबंधों के साथ
गत दिन लोहियानगर में ईवीएम की सुरक्षा को देखते हुए वन विभाग ने 40 प्रतिबंधों के साथ बंदर पकडऩे की अनुमति दे दी। इसके बाद लोहियानगर में मथुरा से बंदर पकडऩे वाली टीम को बुलाया गया और लोहे का जाल लगाकर बंदर पकडऩे का प्रयास शुरू किया गया।

बंदरों की तलाश में बदली जगह
लोहियानगर मंडी में बनाए गए स्ट्रॉग रूम में रखी गई ईवीएम मशीनों को सुरक्षित रखने के लिए शनिवार से नगर निगम ने वृंदावन की टीम के साथ मिलकर बंदर पकडऩे का अभियान शुरू किया था। पहले दिन कुछ बंदर पकड़ में आ गए लेकिन इसके बाद लगातार दो दिन से बंदरों की चालाकी के सामने टीम भी प्लानिंग धरी रह गई। सोमवार को भी दिनभर प्रयास के बाद भी एक भी बंदर निगम के जाल में नहीं फंसा। सोमवार को भी निगम की टीम के हाथ खाली रहे और परेशान होकर टीम ने जाल को लोहियानगर से हटाकर विकास भवन की छत पर लगा दिया।

अधूरा रह गया था अभियान
नगर निगम ने गत वर्ष भी जून माह में बंदर पकडऩे का अभियान चलाया था। मगर उस वक्त गर्मी अत्यधिक पड़ रही थी। जिसे देखते हुए अनुकूल मौसम होने तक तत्कालीन नगर आयुक्त ने अभियान को स्थगित कर दिया था। तब वन विभाग ने 36 प्रतिबंधों के साथ बंदर पकडऩे के लिए एक महीने की अनुमति दी थी। जिसमें बंदर की सेहत से लेकर उसकी जानमाल की सुरक्षा, खानपान तक पर ध्यान देने की बात कही गई थी। प्रतिबंध इतने सख्त थे कि अभियान अधूरा ही रहा। हालांकि एजेंसी ने मेडिकल कालेज समेत विभिन्न क्षेत्रों से करीब 350 बंदरों को पकड़कर सहारनपुर के शिवालिक वन क्षेत्र में छोड़ा था।

फैक्ट्स
- 20 लाख आबादी शहर की बंदरों के आतंक से परेशान।
- 13 हजार लोगों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जिला अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक।
- हर साल कई पीढिय़ों से बंदर पकडऩे का काम कर रही वृंदावन की टीम बंदरों को पकडऩे शहर में आती है।
- पिछले साल तक पहले शहर से बंदर पकड़कर सहारनपुर में शिवालिक की पहाडिय़ों में बंदर छोड़े जाते थे।
- इस बार हस्तिनापुर के जंगलों में बंदर छोड़े जाने हैं।
- 335 रुपये प्रति बंदर पकडने के लिए रेट हुआ तय।
- पिछले साल अभियान में तीन हजार बंदर पकड़े जाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन आंकड़ा 100 भी पार नही कर पाया था।
- पहले बंदर पकडऩे के लिए निगम के पास एक ही जाल वाली गाड़ी थी, जबकि अब दो जाल वाली गाड़ी हैं।

शहर के इन क्षेत्रों में अधिक आंतक
- मेडिकल कालेज परिसर, अस्पताल
- लालकुर्ती
- शास्त्रीनगर, जयदेवी नगर, कैलाशपुरी
- लिसाड़ी गेट
- सिविल लाइन, मोहनपुरी
- फूलबाग कालोनी, स्पोटर्स कालोनी
- समर गार्डन, फत्तलेपुर, मदीना कालोनी
- लोहियानगर
-कंकरखेड़ा

वर्जन

बंदरों के पकडऩे के लिए इस बार बहुत कम टारगेट मिला है। हमारी प्राथमिकता ईवीएम समेत लोहियानगर में कर्मचारियों को सुरक्षा देना है। लोहियानगर में बंदर जाल से दूरी बना रहे हैं। इसलिए फिलहाल कलेक्ट्रेट में विकास भवन के ऊपर जाल लगाया गया है।
हरपाल सिंह, पशु कल्याण अधिकारी, नगर निगम