मेरठ ब्यूरो। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी मेडिसिन विभाग और ट्रॉमा सेंटर द्वारा आयोजित कार्यशाला का बुधवार को समापन हो गया। कार्यशाला में मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी मेडिसीन, सामान्य मेडीसिन, सर्जरी, एनेस्थेसियोलाजी, अस्थि रोग, बाल रोग तथा स्त्री एवम प्रसुति रोग के संकाय सदस्यों, सिनियर एवम जूनियर रेजिडेंट्स चिकित्सकों को लाइव डिमांस्ट्रेशन देकर प्रशिक्षित किया गया।

मूल्यांकन से लगाएं अंदाजा

मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा वी डी पाण्डेय ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसीन विभाग द्वारा एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के एमरजेंसी मेडिसिन विभाग और ट्रॉमा सेंटर में मंगलवार से कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला के दूसरे दिन इमरजेंसी मेडिसीन विभाग के विश्व विख्यात फैकल्टी वाल्टिकमोर, यूएसए ( यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका) में कार्यरत डा सुनील आहूजा ने मेडिकल कॉलेजों के संकाय सदस्यों, चिकित्सकों को इमरजेंसी मेडिसीन विभाग और ट्रॉमा सेंटर में प्रायोगिक रूप से वार्ड और आईसीयू में प्रशिक्षण दिया। इस दौरान ई फास्ट जिसे सरल भाषा में दुर्घटनाग्रस्त मरीज की सोनोग्राफी कर उनके क्षति ग्रस्त अंगों का विस्तार से मूल्यांकन करना कहा जाता हैं। मूल्यांकन के आधार पर मरीज की स्थिति गंभीर है या नहीं इसका पता लगाया जा सकता है। कृत्रिम सांस से बचाएंगे जिंदगी डॉ। सुनील ने यह भी बताया कि इमरजेंसी या ट्रॉमा के मरीज के एमरजेंसी मेडिसिन विभाग पहुंचते ही शरीर के महत्वपूर्ण अंगों ( जिनमें श्वास, फेफड़ों, हृदय, मस्तिष्क, लीवर, किडनी, स्प्लीन आदि की क्लिनिकली जांच होनी चाहिए और ए बी सी( एयरवे, ब्रीदिग, सरकुलेशन) फार्मूला स्वासनली, स्वसन तथा सर्कुलेशन पर काम करते हुए तत्काल मैनेज किया जाना चाहिए जिससे मरीज की जान बचाई जा सके। मरीज का सांस लेते रहना जरूरी है यदि मरीज स्वयं सांस नही ले पा रहा है तो उसे तत्काल ऑक्सीजन लगनी चाहिए यदि उसके बाद भी मरीज के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम या नहीं स्थित रह पा रही है तो उसे कृत्रिम सांस की मशीन जिसे हम वेंटीलेटर कहते हैं उसका प्रयोग कर मरीज की जान बचाई जा सकती है।

समस्याओं का निस्तारण

कार्यवाहक प्रधानाचार्य डा ज्ञानेश्वर टाक ने कहा कि यह कार्यशाला अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मेडिकल कालेज में इमरजेंसी मेडिसीन विभाग द्वारा गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आयोजित की गई है। ट्रॉमा, क्रिटिकल केयर तथा इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के साथ प्रतिदिन की जाने वाली प्रैक्टिस में जो समस्याएं आती हैं उनका डा सुनील आहूजा द्वारा मेडिकल कॉलेज के चिकित्साकों को लाइव डिमांस्ट्रेशन तथा इंटरैक्टिव सेशन के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।