मेरठ (ब्यूरो)। जनहित फाउंडेशन मेरठ की ओर से गांव बहचौला मे बच्चों की ट्रैफिकिंग यानि तस्करी के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान लोगों को ट्रैफिकिंग के खिलाफ शपथ भी दिलाई गई। संस्था की निदेशिका अनीता राणा में गांव की महिलाओं को बाल तस्करी के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा स्कूलों, आंगनबाडिय़ों, पंचायतों के अलावा घर-घर जाकर अभियान चलाया जा रहा है। बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल मजदूरी के खिलाफ जागरुक किया जा रहा है। इसके साथ ही लोगों को बाल तस्करी रोकने के लिए शपथ दिलाई।
जागरुक हो ग्रामीण
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का मकसद बच्चों की ट्रैफिकिंग और बाल श्रम के खिलाफ लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाना है। ऐसी बुराइयों से अवगत कराना है। हालांकि, पिछले एक दशक में देश में सरकारों की सतर्कता से बाल तस्करी पर रोक लगी है। हालांकि, आम लोगों में जागरूकता की कमी के कारण ये प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं।
बड़ी चुनौती है तस्करी रोकना
अनीता राणा ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकना दशकों से एक बड़ी चुनौती है। सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयासों के कारण ट्रैफिकिंग के मामले दर्ज होने की संख्या बढ़ी है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना शेष है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2021 के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में हर घंटे नौ बच्चे लापता होते हैं। जबकि रोजाना आठ बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि 2021 में देश 77,535 बच्चे लापता हुए जो 2021 के मुकाबले 31 फीसद ज्यादा है।
दिख रहा है बदलाव
उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चों के लापता होने की जानकारी देने सामने आ रहे हैं, अपने आप में एक बड़ा बदलाव है। यह इस बात का संकेत है कि जमीनी स्तर पर घर-घर जाकर हमने जो जागरूकता अभियान चलाया है। उससे लोगों की मानसिकता बदली है।
एंटी-ट्रैफिकिंग बिल पास हो
उन्होंने कहा कि हालांकि सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के प्रयासों में जुटी हुई हैं।लेकिन इस संगठित अपराध को देश से पूरी तरह खत्म करने के लिए एक कड़े एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की सख्त जरूरत है। इसलिए सरकार संसद में एंटी-ट्रैफिकिंग बिल शीघ्र पास कराए।