मेरठ (ब्यूरो)। लगातार कम होते भूमिगत जल स्तर की समस्या को दूर करने के लिए भले ही प्रशासन हर साल रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और तलाब की संख्या बढ़ाकर जलस्तर को सुधारने की कवायद में जुटा हो। मगर नगर निगम वायु प्रदूषण कम करने के नाम पर प्रशासन की इस योजना में पलीता लगा रहा है। दरअसल, निगम द्वारा वायु प्रदूषण कम करने के लिए टैंकरों के माध्यम से रोजाना हजारों लीटर पेयजल को बर्बाद किया जा रहा है।

नलकूपों का जल यूज
वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए शहर के प्रमुख मार्गों पर नगर निगम ने पानी का छिड़काव शुरू करा दिया है। छिड़काव में ओवर हेड टैंक से आने वाला पीने के पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि एनजीटी का निर्देश है कि सड़क पर छिड़काव के लिए एसटीपी से ट्रीट पानी का इस्तेमाल करना है। यह पानी टैंकर के माध्यम से सड़कों पर डाला जाता है। खास बात यह है कि छिड़काव के लिए साधारण पानी का प्रयोग न होकर पेयजल का प्रयोग किया जा रहा है। क्योंकि निगम के पास वाटर टैंकर भरने के लिए 157 नलकूपों का पानी प्रयोग किया जा रहा है। इन नलकूपों से ही रोजाना वाटर टैंकरों में पानी भरकर छिड़काव के लिए प्रयोग किया जाता है।

बर्बाद हो रहा पेयजल
निगम के तीनों डिपो में करीब 12 से 13 वाटर टैंकर हैं। इन वाटर टैंकरों को गर्मियों के दिनों में पेयजल की समस्या दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्रत्येक टैंंक की 500 से 600 लीटर पानी की क्षमता होती है। ऐसे में अब शहर की सड़कों पर उडती धूल को बैठाने के लिए रोजाना दिन मे दो बार प्रमुख सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। खासबात यह है कि निगम द्वारा इन वाटर टैंकरों को भरने के लिए नलकूप ही विकल्प बचे हुए हैं उनसे ही पानी उपलब्ध कराया जाता है। जबकि नलकूप को शहर को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रयोग किया जाता है।

सड़कों पर छिड़काव के लिए एसटीपी से ट्रीट पानी का ही छिड़काव किया जा रहा है। इसके लिए पेयजल का प्रयोग नहीं हो रहा है।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त