मेरठ (ब्यूरो)। कोरोना संक्रमण के कारण दो साल से मेरठ के प्रसिद्ध 348 साल पुराने नौचंदी मेले पर लगा ग्रहण इस साल हट गया। नौ दिन पहले जिला प्रशासन ने धूम धाम से मेले का उद्घाटन तो कर दिया। लेकिन, आज भी मेला परिसर की हालत लावारिस है। मेले स्थल पर कुछ एक झूलों के अलावा चारों तरफ उड़ती धूल, गंदगी और आवारा पशु देखकर लगता नहीं की मेले का उद्घाटन हो चुका है। हालांकि देर से ही सही जिला पंचायत ने 68 लाख रुपए के टेंडर जारी कर दिए हैं। इस बजट से मेला परिसर पर सड़क निर्माण, सीसी टाइल्स, लाइट, साफ सफाई, हरियाली, पटेल मंडप मरम्मत आदि के काम को पूरा कराया जाएगा।
28 मार्च को हुआ था उद्घाटन
28 मार्च को जिला प्रशासन ने नौचंदी मेले का विधिवत उद्घाटन किया था। दावा था कि 12 अप्रैल तक मेले का पूरी तरह से आयोजन शुरू हो जाएगा। लेकिन, नौ दिन बाद भी मेला परिसर स्थल की हालत बदत्तर है। न साफ सफाई हुई है और न ही कच्ची सड़कों की हालत में सुधार हुआ है। इतना ही नहीं मेला परिसर कूड़े के ढेर और आवारा पशुओं का आश्रय बना हुआ है। परिसर में लगी महापुरुषों की प्रतिमा की हालत जर्जर है। परिसर में शौचालयों से लेकर पेयजल व्यवस्था तक नहीं है। पटेल मंडल की छत से लेकर फ्लोर तक जगह-जगह टूट चुका है।
ई-टेंडर में हो रही देरी
जिला पंचायत ने ऐतिहासिक मेला नौचंदी में झूला, बिजली, सर्कस, तहबाजारी आदि कार्यों के लिए छह अप्रैल को ई-टेंडर मांगे हैं। पहले इन टेंडर को जारी करने की तिथि चार अप्रैल और खोलने की तिथि पांच अप्रैल थी। इस तिथि को जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी के निर्देश पर दो दिन बढ़ा दिया गया था। अब छह अप्रैल तक टेंडर मांगे गए थे जो 12 अप्रैल तक डाले जाएंगे और 13 अप्रैल को खोले जाएंगे। ऐसे में मेला शुरू होने में अभी 10 से 12 दिन का और समय लगने की संभावना है।
1672 में हुई थी शुरुआत
नौंचंदी मेले की शुरुआत 1672 में नवचंडी मेला के नाम से हुई थी। जो बाद में नौचंदी के नाम से जाना गया। तब हर साल नवरात्र के नौवें दिन यहां मेला भरना शुरू हुआ था। दो साल पहले कोरोना संक्रमण के कारण 348 साल पुरानी यह परंपरा टूट गई थी।
मेले का है ऐतिहासिक महत्व
नौचंदी मेले ने मुगलकाल से लेकर कई स्वतंत्रता आंदोलनों का दौर देखा है। कई स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष का नौचंदी मेला गवाह बना है। यही नहीं 1857 का संग्राम भी नौचंदी मेले का आयोजन नहीं टाल सका था। देश के कोने-कोने से व्यापारी आकर यहां भिन्न-भिन्न उत्पाद बेचते आए हैं। एक महीने से ज्यादा लगने वाले इस मेले में हर साल काफी भीड़ रहती है। मेले में आने वाले सूरमा, हलवा पराठा और नान खटाई की प्रदेश ही नहीं देश तक में डिमांड है।
इनके जारी हुए टेंडर
- 468040 लाख स्वास्थ्य व सफाई कार्य के लिए स्वीपर और मशीनों के लिए
-1746725 लाख शहीद गेट से टीन बाजार होते हुए पटेल मंडप तक बांयी रोड पर इंटरलॉकिंग काम के लिए
-1432879 लाख शहीद गेट से नया बाजार होते हुए पटेल मंडल तक इंटर लॉकिंग काम के लिए
- 2223098 लाख शहीद गेट से टीन बाजार होते हुए पटेल मंडप तक दाईं रोड पर इंटरलॉकिंग काम के लिए
- 249975 लाख मेला क्षेत्र में मौरम, सुर्खी और राबिस बिछाने के लिए
-210600 लाख छिड़काव के लिए टैंकर और ट्रैक्टर किराए के लिए
-169636 लाख सीवर लाइनों की सफाई के लिए
-122200 लाख मेला क्षेत्र में मलबे को बाहर निकालने और मेला क्षेत्र को समतल करने के लिए
वर्जन
मेला स्थल के काम के लिए टेंडर निकाले जा चुके हैं जो कि 12 अप्रैल दोपहर 12 बजे तक आमंत्रित किए गए हैं। जल्द से जल्द टेंडर प्रक्रिया पूरी कर मेला स्थल पर सिविल वर्क पूरा कराया जाएगा।
-एसके गुप्ता, अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत