मेरठ (ब्यूरो)। शहर में बिजली के खुले तारों और टूटी सड़कों के बाद अगर कोई चीज देखने लायक है तो वह है कूड़ेदान बन चुके शहर के खुले नाले। इन नालों को ढकने के लिए बीते 10 सालों में कई योजनाएं बनाई गई, जो केवल डीपीआर तक सीमित रह गई। लेकिन आज तक ये नाले न तो ढके गए और न ही इनकी बाउंड्री की गई। इतना ही नहीं, बरसात में ये नाले जलभराव का मुख्य कारण बनते हैैं। इससे अलग खुले नालों के आसपास के इलाकों में मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। आज की तारीख में 257 नाले लावारिस और गंदगी से अटे पड़े हैं।

ये बनी थी योजनाएं
10 साल पहले 4 जून 2012 को तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां ने 407 करोड़ से शहर के 30 पुराने नालों के ऊपर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने की योजना बनाई थी।

इस योजना के तहत नालों के आसपास घूमने के लिए बगीचा और चारों ओर पेड़ लगाने की योजना थी जिसके तहत एमडीए ने 503 करोड़ की आबू कैनाल योजना बनाई।

इसके तहत सपा सरकार में नगर विकास मंत्री आजम खां ने एमएलसी डॉ। सरोजनी अग्रवाल की मांग पर उनके हॉस्पिटल व आवास के सामने खुले नाले का करीब 400 मीटर हिस्सा ढका दिया था।

इसके बाद एनसीआर प्लानिंग बोर्ड ने ऋण लेकर 38 किमी आबू नाले में से 20 किमी का जीर्णोद्वार करने की योजना बनाई थी। जाकि अभी तक अधूरी है।

इसके बाद साल 2015 में नगर निगम ने नालों के ऊपर जाल लगाकर उन्हें ढकने और दीवार ऊंचा करने की योजना बनाई थी, जिसके तहत 431 करोड़ की योजना बनाई थी जो कि आज तक योजना तक सीमित रही।

2017-18 में शहर के 27 बड़े नालों के किनारे लोहे की जालीदार फेसिग लगाने का प्लान भी बनाया गया था जिसके तहत 31.850 किमी लंबी फेंसिंग लगाने पर करीब 20 करोड़ रुपया का बजट तैयार किया गया था लेकिन यह फेंसिंग भी अभी तक अधूरी है।

साल 2019 में 14 वां वित्त आयोग के बजट से नाला निर्माण और सुधार की कार्य के तहत 15 करोड़ से अधिक की योजना तैयार की गई थी लेकिन इस पर भी काम नही हो सका।

साल 2019 में नालों पर स्लैब डालकर मैनहोल बनाने की योजना भी बनाई गई थी। ताकि समय से नालों की सफाई की जा सके।

इसके लिए करीब 111्र.43 करोड़ रूपए का प्रस्ताव बनाकर निर्माण विभाग ने शासन को भेजा गया जिसमें शहर के 200 किमी नाले कवर किए जाने थे।

नाले ढकने के फायदे
नाले कवर होने से उनमें कूड़ा नहीं डलेगा, जिससे जलभराव की स्थिति नहंी बनेगी।

शहर में पार्किंग की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगा। नाला ढकने पर पार्किंग के लिए उपयोग हो सकता है।

ढके नाले का उपयोग फुटपाथ और पैदल आवागमन या अस्थाई बाजार के लिए किया जा सकता है।

नाला ढकने के बाद नाले में गिरने से मौत होने का खतरा कम होगा।

इसके साथ नालों पर स्लैब डालकर मैनहोल बनाया जाएगा। ताकि समय से नालों की सफाई की जा सके।

इनकी नालों को कवरिंग की जरूरत
ओडियन नाला
कोटला नाला
फिल्मिस्तान नाला
आबू नाला
नंगलाताशी वाला नाला
माधवपुरम नाला
पांडवनगर नाला
बच्चा पार्क नाला
मोहनपुरी नाला
साकेत में सेंट ल्यूक्स अस्पताल वाला नाला
मकाचीन नाला
खटकाना पुल से मवाना रोड पुल तक आबू नाला-2
राधा गार्डन वाला नाला
रेलवे क्रॉसिंग से सोफीपुर वाला नाला
मोहम्मदपुर से कासमपुर नाला आदि

नालों की कवरिंग के लिए निर्माण विभाग के स्तर पर योजना बनाई जा चुकी हैं। कई जगह प्राथमिकता के स्तर पर नाले कवर होने जरूरी हैं, इसमें ओडियन नाला प्रमुख है। मगर बजट स्वीकृत होने के बाद काम किया जाएगा।
हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम