मेरठ (ब्यूरो)। कोविडकाल के बाद से बेसिक शिक्षा से संबंधित स्कूल तो खुल गए मगर वहां बच्चों की आवक बेहद कम हो गई है। इस बात का खुलासा सर्व शिक्षा अभियान के तहत हुए सर्वे में हुआ। सर्वे के मुताबिक ज्यादातर परिवारों ने कोविड के डर से तो कुछ ने अलग-अलग पारिवारिक हालातों के चलते बच्चों का स्कूल छुड़वा दिया। इस जानकारी के बाद बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल चलो अभियान की तैयारी शुरू कर दी है।
14 प्रतिशत बच्चे कम
अगर बेसिक स्कूलों की बात करें तो 1400 स्कूलों में 911 करीब जूनियर व बाकी पूर्व माध्यमिक विद्यालय है। इनमें पौने दो लाख स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इन दिनों करीब 44 प्रतिशत बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैं। जबकि 56 प्रतिशत बच्चों ने स्कूलों से दूरी बना ली है। जानकारी के मुताबिक कोविड से पहले स्कूलों में बच्चों का आंकड़ा करीब 70 प्रतिशत था। मगर कोरोना काल के बाद जब स्कूल खुला तो बच्चों आंकड़ा 14 प्रतिशत कम हो गया। हालांकि सर्व शिक्षा अभियान में ये जानकारी सामने आने के बाद बेसिक शिक्षा विभाग इसको लेकर गंभीर हो गया है। इतना ही नहीं, बच्चों को वापस स्कूल में लाने के लिए विभाग ने स्कूल चलो अभियान चलाया जाएगा।
आर्थिक तंगी बड़ा कारण
सर्व शिक्षा अभियान में जो जानकारी सामने आई है, उसके आधार पर बेसिक स्कूलों से बच्चों के ड्रापआउट होने का बड़ा कारण आर्थिक तंगी को माना जा रहा है। साथ ही कुछ पेरेंट्स ने जागरुकता के अभाव में कोविड के डर से बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया है।
चलाया जाएगा अभियान
बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में सर्व शिक्षा अभियान के तहत कोविड संबंधित जानकारी देने के लिए जागरुकता अभियान गांव-गांव में चलाया जाएगा। जिसके तहत लोगों को बताया जाएगा कि कोविड से अब डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि नियमों को मानते रहे और सर्तक रहे तो किसी भी तरह की बीमारी से बचा जा सकता है। इसके पीछे विभाग का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूलों में वापसी कर सकें।
वर्जन
एक अप्रैल से स्कूल चलो अभियान शुरू किया जाएगा। इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है। गांव-गांव जाकर बच्चों और अभिभावकों को जागरुक किया जाएगा। साथ ही उन्हें स्कूल आने में क्या दिक्कत आ रही है, ये भी जानकारी ली जाएगी।
योगेंद्र कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी