मेरठ (ब्यूरो)। लोगों को बेहतर इलाज मिल सके। इसके लिए सरकार तमाम तरह के वादे कर रही है। लेकिन हकीकत में स्वास्थ्य विभाग की तस्वीर कुछ और ही है। अस्पतालों में न तो चिकित्सक मौजूद हैैं और न ही समय पर चिकित्सा सुविधा मुहैया हो पाती हैैं। इसका जीता-जागता उदाहरण मेरठ का जिला अस्पताल है। जहां पर चिकित्सकों की कमी मरीजों के सिर का दर्द बन रही है।
27 चिकित्सक ही मौजूद
पीएल शर्मा जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब डेढ़ से दो हजार मरीज दिखाने पहुंचते हैैं। अस्पताल में 53 चिकित्सकों की तैनाती की जरूरत है, लेकिन यहां पर शासन ने केवल 27 चिकित्सक ही तैनात किए हुए हैैं। इनमें से भी कुछ की ड्यूटी अन्य कार्यक्रमों लगने की वजह से मरीजों के सामने समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में मरीज निजी अस्पतालों का दरवाजा खटखटाते हैैं और भारी-भरकम रकम देकर अपनी जेब खाली करने को मजबूर होते हैैं।
40 मरीज देखने का है मानक
जिला अस्पताल में तैनात चिकित्सकों की मानें तो एक चिकित्सक दिन में केवल 40 मरीज ही देख सकता है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के चलते एक चिकित्सक को सौ-डेढ़ सौ मरीजों को देखना पड़ता है। इससे मरीजों को सटीक इलाज नहीं मिल पाता है। अपने फील्ड से हटकर मरीज देखने से इलाज की गुणवत्ता में भी कमी आती है।
कितने चिकित्सकों की कमी
चिकित्सक जरूरत तैनाती
फिजिशियन तीन तीन
सर्जन तीन दो
बाल रोग विशेषज्ञ तीन तीन
एनएसथीसिया तीन दो
एक्स-रे एवं अल्ट्रासाउंड तीन -
नेत्र विशेषज्ञ तीन तीन
ईएनटी दो एक
पैथोलॉजी दो दो
हृदय रोग विशेषज्ञ दो एक
चर्म रोग विशेषज्ञ एक एक
न्यूरोलॉजिस्ट एक एक (तीन दिन)
टीबी एंड चेस्ट एक -
यूरो सर्जन एक -
न्यूरो सर्जन एक -
गुर्दा विशेषज्ञ (नेप्रोलॉजिस्ट) एक -
प्लास्टिक सर्जन एक -
न्यूरो फिजिशियन एक -
डेंटल सर्जन एक एक
ब्लड बैैंक चार -
बर्न वार्ड छह -
इमरजेंसी मेडिकल आफिसर चार चार
गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग थी। जिसमें जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी को उनके संज्ञान में डाला गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द ही चिकित्सकों की तैनाती का आश्वासन दिया है।
अखिलेश मोहन सिंह, सीएमओ, मेरठ