मेरठ ब्यूरो। नगर निगम की लाख कोशिशों के बाद भी लोहियानगर में कूड़े के पहाड़ का साइज दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि लाखों रूपए की लागत से बैलिस्टक सेपरेटर प्लांट लगने के बाद भी कूड़े का पहाड़ कम होने का नाम नही ले रहा है। कूड़े के पहाड़ के कारण आसपास की कालोनियों का विकास थम गया है। तेज हवाओं के साथ कूड़ा उड़कर आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इसी का नतीजा है कि हापुड रोड कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुकी है। प्लांट का कूड़ा ओवर फ्लो होने के कारण सड़क पर फैलता जा रहा है।

ओवर फ्लो हो रहा कूड़े का पहाड़

शहर में 900 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन उत्सर्जित होता है। जिसको मंगतपुरम, गांवडी के बाद पिछले 10 सालों से लोहियानगर में एकत्र किया जा रहा है। लोहिया नगर में 30 टन प्रति घंटे का कूड़ा निस्तारण प्लांट के साथ दो साल पहले बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगने से प्लांट के कूड़ा निस्तारण प्लांट की क्षमता दो गुनी हो गई। लेकिन प्लांट से अभी तक केवल कूड़े के सेग्रीगेशन का काम किया जा रहा कूड़े का निस्तारण नही हो पा रहा है। जिसके कारण कूड़ा अब ओवरफ्लो होकर हापुड रोड समेत पुलिस एन्क्लेव, लोहियानगर इंडस्ट्रीयल एरिया की सड़कों पर फैलता जा रहा है। इससे इंडस्ट्रीयल एरिया में समेत एमडीए की प्रमुख कालोनी लोहियानगर का विकास तक प्रभावित होने लगा है।

विकास को तरस रहे कारोबारी

लोहियानगर में कैंची कलस्टर समेत बिजली उपकरण, स्पोटर्स गुडस समेत कई प्रमुख उत्पादों की इंडस्ट्रीज हैं। एमडीए द्वारा लोहियानगर को इंडस्ट्रीयल एरिया के तौर पर विकसित किया जाना था। लेकिन कूड़े के पहाड़ के चलते इस क्षेत्र में कारोबारी आने से कतराने लगे हैं। क्षेत्र में सीवरलाइन से लेकर सड़कों तक की व्यवस्था अधूरी है। स्ट्रीट लाइट से लेकर फुटपॉथ, पार्क और बाजार जैसी सुविधाएं विकसित नही हो पा रही है। कच्ची सड़कों के कारण कई रेजीडेंशियल सोसाइटी विकासित नही हो पा रही है।