मेरठ ब्यूरो। शहर की करीब 20 लाख आबादी से प्रतिदिन निकलने वाले 1200 मीट्रिक टन कचरा शहर की खूबसूरती पर दाग बन चुका है। हर साल लाखों रुपए सफाई पर खर्च होने के बाद भी शहर में कूड़े का निस्तारण नही हो पा रहा है। हालत यह है कि हाल ही में लोहियानगर में बने कूड़े के पहाड़ पर एनजीटी ने पांच हजार करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दे दी है। बावजूद इसके नगर निगम अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। वहीं जल्द ही एनजीटी की टीम निरीक्षण करने आ रही है। इसके बाद भी निगम के पास कूड़ा निस्तारण के लिए कोई बड़ी योजना नही है। कुल मिलाकर शहर के प्रमुख डंपिंग ग्राउंड में कूड़े के पहाड़ के निस्तारण में निगम फेल साबित हो रहा है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के कूड़े की समस्या पर सात दिवसीय अभियान की शुरुआत की है।
कूड़ा कलेक्शन की अधूरी व्यवस्थाएं
गौरतलब है कि शहर में लगभग 80 अस्थायी कूड़ाघर और 120 अस्थायी कूड़ाघर हैं और वर्तमान में कचरा लोहिया नगर में डंप किया जा रहा है। शहर का कचरा दो स्तर पर उठाया जाता है। पहला स्तर डोर टू डोर कूड़ा गाडिय़ों का है। प्रत्येक वार्ड में कूड़ा गाड़ी पहुंचती है। दो राउंड लगाती है। प्रति राउंड लगभग 300 घरों का कचरा एकत्र कर लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड ले जाती है। दो राउंड में एक वार्ड से लगभग 600 घरों का कचरा डोर टू डोर कूड़ा गाडिय़ों से कलेक्ट होता है। प्रति वार्ड न्यूनतम 1500 से 2000 तक मकान हैं। बाजार का एरिया अलग से है। कूड़ा गाडिय़ों की कमी और कूड़ा ट्रांसफर स्टेशनों की कमी से प्रति वार्ड 50 फीसद ही कूड़ा कलेक्शन डोर टू डोर हो पा रहा है। वार्ड का शेष कचरा हाथ ठेलों के माध्यम से अस्थायी व स्थायी कूड़ाघरों तक आता है। जहां से दूसरे स्तर पर डंपर व ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर कचरा उठाया जाता है। यह कचरा भी लोहिया नगर डंपिंग ग्रांउड जाता है।
तीन प्रमुख डंपिंग ग्राउंड
- गांवडी
- लोहियानगर
- मंगतपुरम
गांवडी में रहा सफल प्रयास
गांवड़ी में डंप कचरे के पहाड़ को खत्म करने के लिए निगम का प्रयास सफल साबित हुआ। यहां 2020 से कचरे से पालीथिन-प्लास्टिक कचरा (आरडीएफ ) व ईंट-पत्थर और कंपोस्ट को बैलेस्टिक सेपरेटर मशीन से अलग-अलग कर मुंबई की शक्ति प्लास्टिक प्रतिमाह 500 टन और मेरठ की ब्रिजेंद्रा एनर्जी एंड रिसर्च कंपनी प्रतिमाह 900 टन को आरडीएफ निगम ने बेच दिया। अब गांवडी प्लांट पिछले साल से खाली पड़ा है। यहां फ्रेश कूड़े के कलेक्शन की योजना है। यही योजना अब लोहियानगर में लागू करने का प्रयास है। यहां पूर्व नगर आयुक्त डा। अरविंद चौरसिया के अथक प्रयासों से वर्ष 2019 के अंतिम महीने में गांवड़ी में 15 टन प्रति घंटे का बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट स्थापित किया गया। प्रतिदिन 10 घंटे प्लांट चलाकर 150 टन कचरे का सेग्रीगेशन किया तो जा रहा है लेकिन आरडीएफ बिक नही रहा है। अब यह योजना है कि लोहिया नगर डंपिंग ग्राउंड समाप्त कर सारा कचरा गांवड़ी में ले जाया जाएगा। निगम का मुख्य ट्रेचिंग ग्राउंड गांवड़ी होगा। इसके साथ यहां वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की भी तैयारी है।
कूड़े के पहाड़ पर फटकार
हाल ही में लोहियानगर में कूड़े के पहाड़ पर एनजीटी की ओर से फटकार और पांच हजार करोड़ के जुर्माने की चेतावनी मिली है। इसके बावजूद नगर निगम इस कूड़े के पहाड़ को कम करने की योजना बनाने में रूचि नही ले रहा है। इस कूड़े के निस्तारण के लिए नगर निगम को 30 दिन का समय दिया गया था। ऐसे में अब आशंका है कि एनजीटी की टीम फिर से निरीक्षण के लिए आ सकती है।
मंगतपुरम का कचरा बना सिरदर्द
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी मंगतपुरा में कूड़े का पहाड़ नहीं हट पा रहा है। लाखों टन कचरा यहां आबादी के बीच डंप है। बायोकैपिंग तकनीक का प्रयोग कर गत वर्ष इसे निस्तारित कर पार्क विकसित करने की योजना बनी थी। लेकिन शासन ने इसे मंजूरी नहीं दी। नतीजा, नगर निगम की 14 वें वित्त आयोग की बैठक में बायोकैपिंग तकनीक के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। अब इस कचरे को बैलेस्टिक सेपरेटर प्लांट लगाकर निस्तारित करने की योजना है। लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी नही मिल पा रही है।
- 1200 मैट्र्रिक टन औसतन ताजा कूड़ा प्रतिदिन शहर में हो रहा है उत्सर्जित
- 5 साल पहले वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की कवायद हुई थी शुरू
- वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित होने से फ्रेश कूड़े का रोजाना होगा निस्तारण
- इसके साथ ही कूड़े से बायो सीएनजी गैस बनने लगेगी
- लोहिया नगर में लगे कूड़े का पहाड़ भी कम होगा
- गांवडी प्लांट में कूड़े का निस्तारण किया जा चुका है
ये है तैयारियां सालभर से अधूरी-
- 16 टन कूड़ा संग्रह के पोर्टेबल कांपेक्टर आधारित पांच कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन
- 90 वार्डों में आउटसोर्स पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था
- 21 प्रमुख ढलावघरों को तीन तरफ से दीवार बनाकर कवर्ड करना
- गांवड़ी में फे्रश कूड़ा निस्तारण का प्लांट लगाने की तैयारी
- मंगतपुरम में डंप पुराने कचरे के निस्तारण के लिए गांवड़ी की तर्ज पर प्लांट
- प्रतिदिन उत्सर्जित कूड़े को जल्द गांवड़ी प्लांट पहुंचाने की व्यवस्था
- शहर में रखे बड़े कूड़ेदान हटाकर बाजार वाले क्षेत्रों में छोटे कूड़ेदान लगाने की योजना
- खुले खत्ते व अस्थायी खत्ते शत-प्रतिशत समाप्त करना
कूड़ा निस्तारण की समस्या पर लगातार काम चल रहा है। गांवडी साफ हो चुका है। लोहियानगर में जल्द टेंडर किया जाएगा। मंगतपुरम के लिए नए सिरे से प्लानिंग कर निस्तारण पर जल्द काम शुरु किया जाएगा।
- ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त
शहर में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था सही नहीं है। लोहियानगर में कूड़े का ढेर तो निगम के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन गया है।
मुस्तकीम
शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर मिल जाते हैं। कूड़ा निस्तारण के लिए निगम की कोई प्रॉपर प्लानिंग नहीं है। ऐसे में सार्थक कदम उठाए जाने की जरूरत है।
गोपाल
कूड़ा निस्तारण को लेकर सार्थक कदम उठाने की जरूरत है। नाले पट गए हैं। कूड़ा अब शहर की पहचान सा बन गया है। इसलिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं।
आलोक