मेरठ (ब्यूरो)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) एक छोटा-सा काम भी ठीक से नहीं कर पा रहा है। काम इतना-सा है कि विवि की डिग्री स्टूडेंट्स के घर भेजनी है। महीनों बीत गए, डिग्री मंजिल तक नहीं पहुंची। ऐसी शिकायतें लगातार बढ़ रही है। स्टूडेंट्स ई-मेल व लिखित पत्रों के जरिये अपनी परेशानी जाहिर कर रहे हैं। शुक्र है कि यूनिवर्सिटी अब समाधान खोजने में जुट गई है। डाक के माध्यम से डिग्री स्टूडेंट्स के घर भेजी जा रही है।
शिकायतों का अंबार
बीते दिनों में डिग्री न पहुंचने की दो सौ से अधिक शिकायतें सीसीएसयू में आई हैं। इनमें करीब 150 स्टूडेंट्स ऐसे हैं। जो चार माह पहले ही एप्लाई कर चुके हैं। वहीं पचास ऐसे हैं जिनकी डिग्री को एक माह से अधिक हो गया है। इन्होंने ऑनलाइन एप्लाई किया था। इन्होंने मेल व लिखित पत्र के माध्यम से यूनिवर्सिटी में शिकायत की है।
कंपनी बंद होना है कारण
सूत्रों की मानें तो तीन चार माह पहले तत्कालीन वीसी प्रो। एनके तनेजा ने कोरियर के माध्यम से डिग्री पहुंचाने वाली प्राइवेट एजेंसी की सुविधा को बंद कर दिया था। उन दिनों में सैकड़ों स्टूडेंट्स के घर कंपनी ने खाली लिफाफे भेज दिए थे। मामला उजागर होने पर वीसी द्वारा जांच कराई गई। शिकायतें सही मिलने पर वीसी ने कंपनी को बंद करने का एक्शन लिया था। तीन महीने बाद नई वीसी प्रो। संगीता शुक्ला आ गईं। अब वो पुरानी समस्याओं को सुलझाने में लगी हैं। अब यूनिवर्सिटी ने अपने माध्यम से डाक द्वारा डिग्री भेजनी शुरू कर दी है। इनमें न पहुंचने वाली 150 डिग्रियों को भी शामिल किया गया है।
बैक पेपर भी बना कारण
50 डिग्रियां ऐसी बताई जा रही हैं, जिनमें या तो किसी ने बैक पेपर दिया है। रिजल्ट पूरा न होने की वजह से देरी हुई है। या फिर किसी ने अपने डॉक्यूमेंट डिग्री के लिए जमा नहीं किए हैं। इसके चलते उनकी डिग्री तैयार नहीं हो पाई है।
छह माह तक वैलिड
बता दें कि छह महीने के लिए रिजल्ट आते ही आप प्रोविजनल सर्टिफिकेट ले सकते हैं। इसके लिए एक रुपये का फॉर्म यूनिवर्सिटी जाकर भरना होता है। साथ में माइग्रेशन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड व मार्कशीट की फोटो कॉपी जमा करनी होती है। एप्लाई करने के साथ ही सर्टिफिकेट मिल जाता है। अगले छह महीने में इसे रिन्यू करवाना होता है। क्योंकि आपकी ओरिजनल डिग्री दो तीन साल बाद आती है। इसलिए पहले ये दे दिया जाता है।
15 दिन का लगता है समय
ओरिजनल प्रोविजनल के लिए ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों तरह से एप्लाई किया जा सकता है। ऑनलाइन एप्लाई करने में माइग्रेशन, मार्कशीट, आधार कार्ड आदि को ऑनलाइन ही अपलोड किया जाता है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद सर्टिफिकेट आपके हाथ में आ जाता है। ऑफलाइन में ये सभी डॉक्यूमेंट्स विवि के परीक्षा विभाग में जमा करने होते हैैं। इसके बाद डिग्री घर पहुंचने में 15 दिन का समय लगता है।
डिग्री के लिए शुल्क
2004 तक - 510
2015 तक - 250
2015 के बाद-01 रुपये
पहले कॉलेज पहुंचती है डिग्री
हर साल यूनिवर्सिटी से एक लाख स्टूडेंट़स को डिग्री भेजी जाती है। इसमें डिग्री को पहले कॉलेजों में भेजा जाता है। जहां से स्टूडेंटस डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। यदि स्टूडेंट्स कॉलेज से डिग्री नहीं लेते हैं तो दो साल बाद विवि को डिग्री वापस भेज दी जाती है। इसके बाद डिग्री लेने के लिए विवि में एप्लाई करना पड़ता है। कंफ्यूजन के चलते कई बार स्टूडेंट्स ऑनलाइन एप्लाई कर फीस भर देते हैं और डिग्री कॉलेज पहुंच जाती है। साथ ही कॉलेज में भी अलग से फीस जमा करनी पड़ती है। यूनिवर्सिटी से 12 सौ कॉलेज जुड़े हैं। जिसमें सात लाख स्टूडेंट्स हैं।
क्या कहते हैं स्टूडेंट्स
स्टूडेंट ऑनलाइन एप्लाई कर देते हैं। कंफ्यूजन में वहां भी फीस लगती है जो लौटाई नहीं जाती। फिर कॉलेज में अलग फीस देते हैं। ये भी नुकसान होता है।
अंकित अधाना
मेरे काफी दोस्त हैं, जिनकी डिग्री नहीं पहुंची है। कुछ ने तो तीन महीने पहले एप्लाई किया था। अब यूनिवर्सिटी से पता लगा है कि डिग्री भेजी जाने लगी हैं।
शिवांग त्यागी
काफी स्टूडेंट्स ऐसे हैं, जिनको पता ही नहीं है कि डिग्री न आने पर उन्हें कहां जाना है। किससे मिलना है। ऐसे में वह भटक जाते हैं। इसको लेकर एक अलग से व्यवस्था होनी चाहिए।
राहुल गोस्वामी
मेरे ही कजन की डिग्री नहीं आई है। ऐसे काफी स्टूडेंट्स हैं। जिनकी डिग्री नहीं पहुंची है। इसकी शिकायत भी की है।
विनित चपराना
यूनिवर्सिटी में इसको लेकर काफी समय से सही व्यवस्था नहीं बन पा रही है। अभी तक प्राइवेट कम्पनी की व्यवस्था थी। जो अब बंद कर दी है।
सौरभ
यूनिवर्सिटी में लगातार इस तरह के केस आ रहे हैं। हमने भी इसको लेकर शिकायत की थी। बताया गया है कि अब इसका सॉल्यूशन हो रहा है।
अनुज गुर्जर
वर्जन
दरअसल कुछ के रिजल्ट अधूरे थे। कुछ के बैक रिजल्ट के चलते भी देरी हुई है। कुछ की डिग्री वापस लौटी थीं जो बीते दिनों पहुंची नहीं थीं। उनको भेजा जा रहा है। सभी समस्याओं का सॉल्यूशन किया जा रहा है।
धीरेंद्र कुमार, रजिस्ट्रार सीसीएसयू