मेरठ, (ब्यूरो)। गोवंश की चिकित्सा के नाम पर दुर्दशा देखने को मिल रही है। गायों के शरीर में कीड़े पड़े हैैं, लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला तक नहीं है। मामला मीडिया के संज्ञान में आया तो जिम्मेदार भी हरकत में आ गए। तुरंत मौके पर मुख्य प्रशासनिक चिकित्साधिकारी को भी भेज दिया गया। उन्होंने भी मौके पर मीडिया की मौजूदगी देख पूरा आरोप नगर निगम के सिर मढ़ दिया और वहां से चलते बने। इसके बाद गोवंश पशु ऐसे ही मरणावस्था में तड़पते रहे। सूरजकुंड स्थित नगर निगम का वाहन डिपो है। जिसमें लावारिश गोवंश पशुओं के उपचार के लिए ट्रामा सेंटर बना है। यहां पर उपचार के नाम पर सिर्फ पशुओं की दुर्दशा है और कुछ नहीं।
नहीं होती देखरेख
हालत यह है कि न तो गोवंश पशुओं को चिकित्सक समय से देखते और न ही उनको समय से चारा दिया जाता है। जिसकी वजह से गोवंशीय असहनीय पीड़ा से गुजर रहे हैैं। कुछ गायों के कीड़े पड़े हुए हैैं। जिसकी वजह से वह तड़प रही हैैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यह मामला तब उजागर हुआ।
डीएम को दिया ज्ञापन
बुधवार को ओ-पोकिट, गंगानगर निवासी संजू पत्नी पवन सिंह जिलाधिकारी के पास इस संबंध में ज्ञापन लेकर पहुंचीं थी। संजू ने ज्ञापन में बताया कि 25 अक्टूबर की शाम पांच बजे उन्होंने बीमार गाय को नगर निगम के सूरज कुंड स्थित ट्रामा सेंटर पहुंचाया था। इस दौरान गाय की हालत काफी हद तक सही थी। जब वह गाय का हालचाल जानने ट्रामा सेंटर पहुंची तो हालात देखकर दंग रह गईं।
गाय के शरीर में कीड़े
गायों को बंद कमरे में रखा हुआ था, शरीर में कीड़े पड़े हुए थे। गाय मरणासन अवस्था में तड़प रही थीं। यह देख जब उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने गायों के उपचार के लिए तैनात चिकित्सक डॉ। वीपी सिंह को इसकी सूचना दी।
डॉक्टर ने नहीं सुनीं
आरोप है कि सूचना के दो घंटे बाद चिकित्सक मौके पर पहुंचे। गायों की दुर्दशा से संबंधित सवाल करने पर उन्होंने अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया। उनके विरोध करने पर भी जब डॉक्टर ने नहीं सुनी तो सूचना देकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को मौके पर बुलाया गया। जिन्हें देखकर डॉक्टर शांत हो गए। उन्होंने जिलाधिकारी से मामले में सख्त कार्रवाई करने के साथ ही गायों का तुरंत उचित इलाज किए जाने की मांग की।
मौके पर पहुंचे अधिकारी
मौके पर पहुंचने की जानकारी लगते ही आलाधिकारी भी हरकत में आ गए। आनन फानन मुख्य प्रशासनिक चिकित्साधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने भी मीडिया के सवालों पर पूरा आरोप नगर निगम के सिर मढ़ दिया। चिकित्साधिकारी का कहना था कि प्रशासन की तरफ से संसाधनों के हिसाब से गोवंशीय पशुओं का इलाज किया जा रहा है। नगर निगम को गायों की देखरेख के लिए अन्य संसाधनों का इंतजाम करना चाहिए। इतना कहने के बाद वह और उनके साथ वहां तैनात डॉक्टर निकल लिए। लेकिन इस दौरान भी उन्होंने गायों को इलाज देने की जहमत तक नहीं उठाई। जिससे ज्ञापनकर्ता ने रोष व्यक्त किया।
मामला संज्ञान में आया है। मुख्य प्रशासनिक चिकित्साधिकारी को मामले की जांच के लिए मौके पर भेजा गया था। साथ ही नगर निगम को भी गायों के रख-रखाव और उपचार के लिए उचित व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए हैैं। वहां तैनात चिकित्सक की कार्यशैली की भी जांच कराई जा रही है। खामी मिलने पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
-के। बालाजी, डीएम