कसेरुखेड़ा नाले पर लगाया गया बायोरेमेडिएशन प्लांट
बायो रेमेडिएशन विधि से नालों की गंदगी दूर करेगा निगम
Meerut। शहर के नालों की गंदगी और गंदे पानी की बदबू को दूर करने के लिए नगर निगम ने कवायद शुरु कर दी है। इसके तहत नगर निगम की ओर से पहली बार कसेरुखेड़ा नाले में बायो रेमेडिएशन प्लांट लगाया गया है। इस प्लांट से नाले के पानी में मिली अशुद्धियां दूर होंगी और पानी भी शुद्ध होगा। इस प्लांट की सफलता के बाद अन्य नालों में भी प्लांट स्थापित कर पानी को शुद्ध किया जाएगा।
गंदगी से मिलेगी निजात
नाले के पानी की गुणवत्ता को ठीक करने और उसमें मिली अशुद्धियों को दूर करने के लिए कसेरुखेड़ा नाले पर नगर निगम ने बायो रेमेडिएशन प्लांट लगाया गया है। बायो रेमेडिएशन से नाले के पानी की गुणवत्ता को बेहतर किया जाएगा। साथ पानी की अशुद्धि भी दूर होगी।
अभी पायलट प्रोजेक्ट
अभी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। अगर यह तकनीकि कारगर रही तो जल्द ही अन्य नालों के पानी को शुद्ध करने के लिए प्लांट लगेंगे।
यह है बायो रेमेडिएशन तकनीक
बायो रेमेडिएशन के तहत सूक्ष्म जीवों का प्रयोग कर पर्यावरणीय प्रदूषकों को कम करने या रोकने का काम किया जाता है।
इस तकनीक में नालों के सिल्ट में एंजाइम की डोजिंग कर रिएक्शन कराया जाता है।
नालों में स्लज को रोकने के लिए छोटे-छोटे हिस्से बनाए जाएंगे।
इसमें लिक्विड फॉर्म में मौजूद एंजाइम डाले जाते हैं।
रिएक्शन से स्लज में बैक्टीरिया ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है।
नाले की जो भी गंदगी होगी वह लिक्विड फॉर्म में तब्दील हो जाएगी और गंदे पानी के साथ बह जाएगी।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन के आदेशों के क्रम में जलकल विभाग के द्वारा बायो रेमेडिएशन 2 अगस्त से शुरु कर दी गई है। बायो कल्चर के प्रयोग से नाले के पानी में बीओडी तथा सीओडी में वृद्धि होगी।
मनीष बंसल, नगरायुक्त