- सिटी के सरकारी स्कूलों में ग‌र्ल्स टॉयलेट के बुरे हैं हालात

- पीएम साहब की चिंता एकदम जायज दिख रही

Meerut : पीएम नरेंद्र मोदी ने इंडिया के बच्चों के साथ पाठशाला के दौरान लेडीज टॉयलेट को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी। सिटी के गवर्नमेंट स्कूलों के लेडीज टॉयलेट तो पीएम साहब की चिंता को एकदम सही साबित कर रहे हैं, क्योंकि सिटी के गवर्नमेंट स्कूलों में जो लेडीज टॉयलेट है उनके हालात भी कुछ सुधरे हुए नहीं है। पर इसकी न तो स्कूल प्रबंध समिति को परवाह है और न ही शिक्षा विभाग को। अब देखना तो यह है कि आखिर मोदी जी के भाषण का इस शिक्षा विभाग को कितना असर होने वाला है।

दिगम्बर जैन ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज

यह सरकारी स्कूल लड़कियों के लिए बेहद ही अच्छा माना जाने वाला काफी पुराना स्कूल है। स्कूल में अगर टॉयलेट के खस्ता हालात देख लें तो आप दंग ही रह जाएंगे। यहां के हालात तो बद से बदतर हैं। टॉयलेट के पास से गुजरने में भी बदबू आती है। और तो और यहां के कुछ टॉयलेट के तो गेट भी बिल्कुल खटारा हालात में है। पानी की टोटी भी लीक करती है। हालांकि यहां कक्षा एक से इंटर तक की छात्राओं के लिए लगभग पांच-छह वॉशरूम हैं, मगर सभी के हालात बेहद खस्ता है।

यहां सही में बहुत ही बुरे हालात हैं। कभी-कभी तो जाने का भी मन नहीं करता है। मगर क्या करें स्कूल में और कही जाया भी तो नहीं जा सकता है।

प्राची, इंटर

गंदगी तो है, मजबूरी में जाना पड़ता है, क्योंकि काफी घंटों तक स्कूल में रहने के बाद टायलेट तो जाना ही पड़ता है।

सोनिया, हाईस्कूल

अब स्कूल की तरफ से तो वॉशरूम को साफ रखने का पूरा प्रयास किया जाता है। मगर इसमें स्टूडेंट्स की भी थोड़ी जिम्मेदारी बनती है।

आभा अग्रवाल, प्रिंसीपल, दिगम्बर जैन ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज

सनातन धर्म ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज सदर

सनातन धर्म ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज, सदर में भी वॉशरूम के हालात कुछ सुधरे हुए नहीं हैं। यहां सीट आधी अंदर ही धंसी हुई है। और तो और यहां की जमीन और दीवारें भी टॉयलेट की गंदगी को बयां कर रही है। इतनी ज्यादा बदबू आती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

टॉयलेट के बाहर ही खड़े हो जाएं तो बहुत ज्यादा बदबू आती है। इतनी गंदगी है की बहुत गंदा लगता है।

ऐश्वर्या पटेल, हाईस्कूल

मेरी तो ज्यादा कोशिश यही रहती है कि मैं स्कूल के टॉयलेट में न ही जाऊं। मगर आखिर कब तक खुद को रोक सकते हैं।

सनबूर, इंटर

आरजी इंटर कॉलेज

शहर में कोई भी ऐसा नहीं है जो इस नाम से परिचित न हो। ग‌र्ल्स के लिए सबसे फेमस माना जाने वाला यह स्कूल भी लेडीज वॉशरूम के मामले में बेहद पीछे नजर आता है। यहां पर भी लेडीज टॉयलेट की चिंता एकदम सही साबित होती है। क्योंकि इस स्कूल में तीन हजार के आसपास लड़कियां पढ़ती हैं, लेकिन वॉशरूम के हालात इतने बुरे हैं कि यहां हर लड़की को वॉशरूम जाना बुरा लगता है।

स्कूल के लेडीज टॉयलेट बेहद गंदे रहते हैं। कभी-कभी तो इतनी गंदगी होती है, जाने को दिल ही नहीं करता है।

शाकरा, क्क्

अब वॉशरूम तो सभी को जाना पड़ता है, लेकिन हां इतना जरुर है कि हम मजबूरी में ही स्कूल के वॉशरूम में जाते हैं।

चारु, इंटर

ग‌र्ल्स को इसके लिए खुद भी सोचना चाहिए। क्योंकि टॉयलेट या फिर स्कूल की कोई क्लास को साफ रखना केवल स्कूल की ही जिम्मेदारी नहीं है।

रजनी शंखधार, प्रिंसीपल, आरजी स्कूल

खालसा ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज

थापर नगर स्थित खालसा कन्या इंटर कॉलेज में भी वॉशरूम के हालात कुछ ठीक नहीं हैं। दीवारों से लेकर सीट तक सबकुछ काला ही काला है। यहां पर नल भी हरदम लीक ही करती रहती है। यहां हालात इतने बुरे हैं कि ग‌र्ल्स नल खोलते हुए भी डरती है। गंदगी और बदबूदार इस लेडीज वॉशरूम में जाना तो दूर की बात है झांकने तक में जी खराब हो जाता है। इसलिए अधिकतर लड़कियां स्कूल के वॉशरूम में जाना ही पसंद नहीं करती हैं।

मैं तो स्कूल के वॉशरूम में जाती ही नहीं हूं, क्योंकि यहां पर गंदगी ही इतनी रहती है। बदबू भी काफी आती है।

सामिया, इंटर

टॉयलेट तो जाना ही होता है, मगर इतनी गंदगी होती है कि कभी-कभी तो सिर ही चकरा जाता है।

पूजा, क्क्