मेरठ (ब्यूरो)। गढ़वाल सभा भवन में उत्तराखंड की बोलियों पर आधारित एक प्रतिनिधि भाषा जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें उत्तराखंड समाज की विभिन्न समाजिक संस्थाओं के सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ। बिहारी लाल जालन्धरी व विशेष अतिथि भारत सिंह नेगी, उत्तम सिंह बागड़ी व सुलतान सिंह तोमर के रुप में शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता वीरेंद्र दत्त सेमवाल संचालन महामंत्री विजेंद्र ध्यानी ने की।
संवैधानिक दर्जा दिलाने की मांग
बैठक में सभी ने एक सुर में अपणि बोलि अपणि भाषा और गढ़वाली कुमाऊंनी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए सभी ने अपनी बात रखी। तथा उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए काम करने और सभी बोलियों के विद्वानों की एक कमेटी बनाने के लिए सरकार से मांग की। इस अवसर पर भाषा वैज्ञानिक डॉ। बिहारीलाल जलन्धरी ने सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों को कार्यक्रम में उपस्थित होने तथा खुलकर बात रखने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने उत्तराखण्ड की चौदह भाषाओं का जिक्र करते हुए उनकी सभी उपबोलियों की जानकारी दी और कहा कि इन सभी के शब्दों को संकलित कर संरक्षण देने की जरूरत है। वीरेन्द्र सेमवाल ने कहा कि भाषा बोलने से ही बचेगी। हम अपने परिवार व अपने आपस में अपनी बोली भाषा में बात नहीं करेंगे तो फिर अपनी भाषा कैसे बचा सकेंगे। उन्होंने उतराखण्ड की प्रतिनिधि भाषा के इस प्रयास की सराहना करते कहा कि गढ़वाली कुमाऊनी बहुत पौराणिक भाषाएं हैं इनका अपना इतिहास और साहित्य है। उनके स्वरूप को यथावत रखना भी आवश्यक है।
सीएम के नाम भेजा पत्र
डॉ। आरपी जुयाल ने कहाकि उत्तराखंड की प्रतिनिधि भाषा के लिए संवैचारिक साहित्यकारों समाजसेवियों को आपस में मिलकर काम करना होगा। कार्यक्रम अंत में मेरठ से जुड़ी हुई सभी सामाजिक संस्थाओं ने अपणि बोलि अपणि भाषा और गढ़वाली कुमाऊंनी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के पत्र मुख्यमंत्री के नाम लिखकर प्रतिनिधिमंडल को प्रेषित किया। प्रतिनिधि मंडल उतराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिया जाएगा।
ये लोग रहे मौजूद
बैठक विजेंद्र ध्यानी, पूरन सिंह भंडारी, देवी दत्त शर्मा, राजेंद्र सिंह बिष्ट, प्रेम तिवारी, नंद किशोर भटट्, सतेंद्र भंडारी, बृजेश शास्त्री, ऋषिराज उनियाल, भरत राम भटट्, अनिल नौटियाल, दिनेश डिमरी, जगदीश जोशी, हीरा सिंह बिष्ट, विकास नेगी आदि मौजूद रहे।