-यूनिवर्सिटी के घोषित परिणाम में ज्यादातर छात्र थे फेल, छात्रों की शिकायत पर नहीं की सुनवाई
-आत्महत्या का प्रयास कर चुकी एक छात्रा के प्रकरण के बाद भी नहीं चेता कॉलेज प्रशासन
Meerut: बागपत रोड स्थित केएमसी कॉलेज ऑफ नर्सिग एंड पैरामेडिकल में प्रबंधन की लापरवाही से यहां सोमवार एक छात्र ने ब्लेड से हाथ की नस काटकर आत्महत्या का प्रयास किया तो वहीं एक अन्य छात्रा पूर्व में इलेक्ट्रिक शॉक लगाकर खुदकशी का प्रयास कर चुकी है। पूरे प्रकरण में कॉलेज की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं सीसीएस यूनीवर्सिटी भी कम दोषी नहीं है। यूनिवर्सिटी ने जो रिजल्ट घोषित किया है, उसमें सत्तर फीसदी से अधिक छात्र फेल हैं।
आत्महत्या का प्रयास
बीएससी नर्सिग की मई 2015 में आयोजित परीक्षा का सीसीएस यूनीवर्सिटी ने 29 सितंबर को रिजल्ट घोषित किया। विभिन्न सत्रों के केएमसी कॉलेज के सत्तर फीसदी से अधिक छात्र इस परीक्षा में फेल हुए हैं। फेल होने की जानकारी पर रिजल्ट आने वाले दिन ही बुलंदशहर की बीएससी थर्ड इयर की एक मेधावी छात्रा पूजा ने शाम को इलेक्ट्रिक शॉक देकर आत्महत्या का प्रयास किया। समय रहते जानकारी पर साथी छात्रों ने छात्रा को बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया। फेल छात्र रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर कॉलेज प्रशासन से लगातार शिकायत कर रहे थे। विरोध को एकजुट करते हुए छात्रों ने क्लास लेना बंद कर दिया था और वे एक ही क्लास में बैठने लगे।
टकराव से बिगड़ी स्थिति
रिजल्ट आने के बाद कॉलेज प्रशासन छात्रों को अनुशासन पढ़ा रहा था जबकि भविष्य बिगड़ता देख छात्र मानसिक अवसाद से घिर रहे थे। इंटरनल एग्जाम में नंबर कम देने का आरोप लगाकर छात्र कॉलेज प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर रहे थे तो वहीं यूनिवर्सिटी में दोबारा कॉपी चेक कराने का दबाव भी बना रहे थे। सोमवार को एक क्लास में बैठे विभिन्न सत्रों के छात्र भी यही मांग कर रहे थे कि उनकी कॉपियां दोबारा चेक कराई जाएं। कॉलेज प्रशासन और छात्रों के बीच टकराव से गंभीर स्थितियां उत्पन्न हुई।
अस्पताल में कराया भर्ती
आनन-फानन में छात्र को परिसर स्थित केएमसी हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया तो वहीं नर्सिग के छात्रों ने साथी की हालत देखकर अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की। कॉलेज प्रशासन करीब तीन घंटे तक छात्रों को समझाने का नाकाम प्रयास किया। यहां से आक्रोशित छात्रों ने कलक्ट्रेट पहुंचकर डीएम कार्यालय का घेराव किया।
मेधावी छात्रों को कर दिया फेल
बीएससी नर्सिग और बीएससी पोस्ट नर्सिग परीक्षा में बैठे सत्तर फीसदी से अधिक छात्र फेल हो गए। सीसीएस यूनीवर्सिटी की मूल्यांकन की प्रमाणिकता पर सवाल उठना लाजिमी है। पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिग की मेधावी छात्रा किरनबाला जिसने प्रथम वर्ष में 82 फीसदी अंक पाए थे, विवि ने अंतिम वर्ष की परीक्षा में उसे चार विषयों में शून्य दिया है। गोल्ड मेडल पाने वाला बीएससी नर्सिग का छात्र इस साल उसे कम नंबर मिले। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं जिससे साफ है कि यूनिवर्सिटी ने मूल्यांकन में गड़बड़ी की है।
कॉलेज प्रशासन ने की शिकायत
कॉलेज की निदेशक संध्या सिसौदिया ने आई नेक्स्ट को बताया कि परिणाम को देखते ही उन्हें लग गया था कि मूल्यांकन में गड़बड़ी हुई है, इस बाबत उन्होंने कुलपति प्रो। एनके तनेजा और रजिस्ट्रार दीपचंद से मुलाकात की और छात्रों की कॉपियां दोबारा चेक कराने की मांग की। कॉलेज की ओर से एक पैनल का नाम भी भेजा गया जिसमें प्राचार्या मीनाक्षी पीसी, मैथ्यू टी जॉय और गौरव त्यागी को शामिल किया गया है। रजिस्ट्रार दीपचंद ने वीसी के निर्देशन में बनी कमेटी को मूल्यांकन की प्रमाणिकता के परीक्षण के लिए अनुमोदित कर दिया था।
यूनिवर्सिटी ने रखा अपना पक्ष
इस संबंध में रजिस्ट्रार दीपचंद ने बताया कि कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों की कॉपियां दोबारा चेक कराने के लिए एप्लीकेशन आई थी। एप्लीकेशन के रिफरेंस में वीसी के निर्देशन में गठित कमेटी को सौंप दिया गया है। मूल्यांकन की प्रमाणिकता के सवाल पर उन्होंने बताया कि नौ कॉलेजों की ओर से पुनर्मूल्यांकन को लेकर एप्लीकेशन आई है, जिसमें से आरजीपीजी कॉलेज मेरठ और एसडी कॉलेज मुजफ्फरनगर की जूलॉजी, बॉटनी और केमिस्ट्री की कॉपियां कॉलेज के पैनल के सामने चेक कराई गई। एक्सपर्ट ने रेन्डमली कॉपियों को चेक किया, मूल्यांकन सही हुआ है।
डीएम ने स्टूडेंट्स को किया शांत
-स्टूडेंट्स ने शिकायत, जानबूझकर किया गया फेल
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रूद्गद्गह्मह्वह्ल : केएमसी नर्सिग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने कलक्ट्रेट पहुंचकर जमकर हंगामा किया, डीएम कार्यालय का घेराव किया और कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर फेल किया गया है। कारण पूछने पर मैनेजमेंट बात करने को तैयार नहीं है।
डीएम से की मुलाकात
डीएम ने स्टूडेंट्स के एक पैनल को अंदर बुलाया और बात की। स्टूडेंट्स ने डीएम के सामने ये भी कहा कि नर्सिग की फैकल्टी ने उनके साथ काफी भेदभाव किया, इसलिए फैकल्टी भी चेंज की जाए। जिसके बाद डीएम उनसे लेटर लिखवाया और मामले को एडीएम सिटी एसपी सिटी के पास ट्रांसफर कर दिया।
दोबारा आएगा रिजल्ट
एडीएम सिटी एसके दुबे के ऑफिस में कॉलेज प्रशासन और स्टूडेंट्स के बीच वार्ता हुई। वार्ता में डिसाइड हुआ कि यूनिवर्सिटी में कॉपीज दोबारा चेक कराकर एक हफ्ते में रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा। वहीं फैकल्टी चेंज करने के मामले में मैनेजमेंट ने यह कहकर साफ इनकार कर दिया कि कॉलेज स्टूडेंट्स के हिसाब से नहीं चलेगा। वहीं स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर
वर्जन
बच्चों की पूरी बात सुनने के बाद मामले को एडीएम सिटी के पास रेफर कर दिया था। बच्चों के साथ किसी तरह की नाइंसाफी नहीं होने दी जाएगी।
- पंकज यादव, डीएम
स्टूडेंट्स और मैनेजमेंट दोनों का पक्ष सुनने के बाद कॉपी दोबारा से जांची जाएगी। जिसका एक हफ्ते में रिजल्ट आ जाएगा। इस आश्वासन पर दोनों पक्ष शांत हो गए हैं।
- एसके दुबे, एडीएम सिटी, मेरठ
कमेटी गठित की गई है जो कॉलेज की कॉपियों को चेक किया जाएगा। जांच के बाद ही कुछ निर्णय लिया जाएगा। घटना के संबंध में प्रिंसिपल से रिपोर्ट भी मांगी गई है।
-प्रो। एनके तनेजा, वीसी, सीसीएस यूनिवर्सिटी
मॉर्किंग कम होना विरोध की वजह बनी है। कॉलेज की ओर से कम्यूनिकेशन गैप रहा है छात्रों की अब री-मॉर्किंग भी हो रही है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और किसी पक्ष की ओर से थाने में शिकायत नहीं की गई है।
-प्रशांत कपिल, एसओ, थाना टीपी नगर
नर्सिग छात्रों को आजाद वर्मा नामक एक छात्र ने भड़काया है, जो क्लास में कभी नहीं पहुंचता, और पहले भी माहौल खराब करने का प्रयास कर चुका है। अनुशासनहीनता की शिकायत पर उनके पिता भी संस्थान से सहमति जता चुके हैं। एक अन्य छात्र लकी गोस्वामी भी माहौल खराब कर रहा है। केएमसी नर्सिग कालेज का रिकार्ड शानदार रहा है। अगर विवि की वजह से परीक्षाफल खराब हुआ तो संस्थान की क्या गलती?
-संध्या सिसौदिया
निदेशक, केएमसी कॉलेज ऑफ नर्सिग
सीसीएस यूनीवर्सिटी स्तर पर छात्रों के रिजल्ट में गड़बड़ी है। कॉलेज के कुछ छात्र माहौल बिगाड़ रहे हैं और उन्हीं के क्रियाकलापों से सोमवार को स्थिति बिगडी। इंटरनल मार्क कम देने का आरोप बेबुनियाद है।
-डॉ। सुनील गुप्ता
निदेशक, केएमसी हॉस्पिटल
स्टूडेंट्स के वर्जन
एग्जाम काफी अच्छा हुआ था। फेल होने के बाद किसी ने सुनवाई नहीं की तो मैं काफी डिप्रेस्ड हो गया था। जिसकी वजह से मुझे यह कदम उठाना पड़ा।
- मनीष त्यागी, स्टूडेंट, नर्सिग सेकंड ईयर
पूजा और मनीष त्यागी द्वारा आत्मघाती कदम कॉलेज मैनेजमेंट रूड बिहेवियर से उठाया। फिजूल में बच्चों को फेल किया गया।
- निखिल दहिया, स्टूडेंट, नर्सिग सेकंड ईयर
मेरा एग्जाम काफी अच्छा हुआ था, जब रिजल्ट आया तो मैं काफी शॉक्ड थी। मुझे भी कुछ सब्जेक्ट्स में फेल कर दिया गया।
- प्रियंका, स्टूडेंट, नर्सिग फर्स्ट ईयर
रिजल्ट आने के बाद जब फैकल्टी से मिलने पहुंची तो उन्होंने काफी रूडली तरीके से बात की। जब मैं मैनेजमेंट के पास पहुंची तो उन्होंने बात ही करने से इनकार दिया।
- जेबा, स्टूडेंट, नर्सिग फर्स्ट ईयर