मेरठ (ब्यूरो)। जलवायु परिवर्तन वर्तमान में विश्व के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। यह पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। इस बाबत सीसीएसयू एवं भारतीय वनस्पति सोसायटी की ओर से 7वां वार्षिक सम्मेलन एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला और प्रोफेसर यूसी लवानिया की अध्यक्षता यह संगोष्ठी हुई।
क्लाइमेट चेंज पर रखे विचार
संगोष्ठी के पहले दिन विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने वनस्पतियों के महत्व, उनके अनुकूलन तंत्र, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण किया। सत्र की शुरुआत मां सरस्वती की पूजा से हुई। इसके बाद मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रोफेसर संजय कुमार (अध्यक्ष, एएसआरबी, नई दिल्ली) के अलावा प्रोफेसर सेसु लवानिया (सचिव, इंडियन बॉटनिकल यूनिवर्सिटी), प्रोफेसर वर्षा नाथन (उपाध्यक्ष, इंडियन बॉटनिकल सोसाइटी), डॉ। आलोक श्रीवास्तव (कोषाध्यक्ष), प्रोफेसर वाई विमला (मुख्य संपादक), प्रोफेसर जितेंद्र सिंह (आयोजन सचिव) और पंकज सिंह (आयोजन सह-सचिव) उपस्थित रहे।
विकसित हो रहे पादप
मुख्य अतिथि प्रो। संजय कुमार ने कहाकि जलवायु परिवर्तन के आघातों को सफलता पूर्वक सहकार अनुकूलन दिखाने वाले पादपों से संबंधित जींस को पहचान कर उसका उपयोग कर आवश्यक फसलों पादपों को सक्षम बनाने की दिशा में होने वाले कार्यों का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान में पैदा होने वाली वह भारत में अत्यधिक प्रयुक्त होने वाली रिंग का पौधा नीदरलैंड से आयातित है। अन्य कई पादप उनके संस्थान कृषि अनुसंधान केंद्र के द्वारा भारत उच्च स्थलों में उगाए गए हैं। यहां तक कि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ट्यूलिप के कई ट्रक भेजे गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में संस्थान के प्रति आभार व प्रोत्साहन व्यक्त किया।
औषधीय पादपों के प्रति जागरुकता जरुरी
प्रो। संजय कुमार ने बताया कि उनके शोध के परिणामस्वरूप आज 56 स्टार्टअप विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे हैं, जिसने नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दिया है। कुलपति प्रो। संगीता शुक्ला ने जैविक जिज्ञासाओं को लक्षित कर भविष्य में ऐसे कार्य करने पर बल दिया गया। उन्होंने कहाकि अनुकूलित फसलों औषधीय पादपों को इंडस्ट्री की सहायता से प्रचारित प्रचलित करने, जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया।
एक्सपर्ट को सम्मानित किया
कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर जितेंद्र सिंह ने कहा कि पौधों की जैविक प्रक्रियाओं और पारिस्थितिक तंत्रों की संरचना में जलवायु परिवर्तन व्यापक बदलाव लाता है। प्रो। लवानिया ने बताया कि यह संस्था 1920 से कार्यरत है और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। संगोष्ठी में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से प्रोफेसर एसके सोपोरी और प्रोफेसर पीके गुप्ता को सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सात अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों और 10 सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्यों को भी पुरस्कार दिए गए।