मेरठ ब्यूरो। ऐसे में पब्लिक टॉयलेट न होने से कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अभियान के जरिए शहरवासियों की इसी समस्या को टटोला। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से सोशल मीडिया पर एक सर्वे कराया गया। इसमें शहर के 200 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने एक्सपीरियंस भी शेयर किए।
रख-रखाव न होने से हालत खराब
हालत यह है कि शहर के कई हिस्सों में यूरिनल और पब्लिक टॉयलेट बने तो हैं, लेकिन रख-रखाव न होने कारण उनकी हालत बदतर है। ऐसे में जिन पब्लिक टॉयलेट्स को प्राइवेट कंपनी संचालित कर रहीं हैं। वे ही यूज करने लायक है। बाकी टॉयलेट की तो हालत ऐसी है कि इनका यूज करना तो दूर इनके पास से गुजरना भी मुश्किल है।
प्राइवेट शौचालय में बेहतर सुविधा
गौरतलब है कि नगर निगम के अंतर्गत कुल 45 पब्लिक टॉयलेट हैं। इनमें से 25 का संचालन प्राइवेट सुलभ एजेसियों के हाथ में हैं। ऐसे में बाकी 20 पब्लिक टॉयलेट खराब हालत में हैं। वे या तो खराब हैं या फिर उनमें ताला लटका रहता है। इनमें गंदगी इस कदर होती है कि आम लोग यूज करने से भी कतराते हैं। वहीं, दो साल से 10 नए आधुनिक शौचालय बनाए जाने का प्रस्ताव भी अधर में अटका हुआ है।
पब्लिक यूरिनल्स की हालत खस्ता
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं। इनमें से करीब 51 यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं। इसके अलग बाजारों में बनाए गए अधिकतर यूरिनल में गंदगी और अव्यवस्था फैली हुई है। कहीं रैंप नहीं बने हैं तो कहीं पार्टिशन टूटा है। वहीं, इन यूरिनल प्लस शौचालयों में अभी तक पानी और बिजली कनेक्शन भी शुरु नहीं हो सका है।
-------------
पब्लिक टॉयलेट में ये सुविधाएं होनी चाहिए
- सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों में डस्टबिन होने चाहिए
- पब्लिक टॉयलेट में शीशा, साबुन, तौलिया की व्यवस्था होनी चाहिए
- महिलाओं के लिए सेनेटरी नेपकीन मशीन शौचालय में लगी हो
- दिव्यांगों के लिए पब्लिक टॉयलेट में जाने के लिए रैंप की व्यवस्था होनी जरुरी है
- शौचालय के बाहर स्वच्छता संदेश की पेंटिंग हो
------------------------