मेरठ ब्यूरो। जिले के होटल, बैक्वेट हॉल, रेस्टोरेंट और विवाह मंडप में जमकर भूगर्भ जल का दोहन या कहें की पानी की चोरी हो रही है। ये होटल, बैक्वेट हॉल भूगर्भ विभाग की बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के अनलिमिटेड पानी जमीन से निकाल रहे हैं। इससे हर माह विभाग को लाखों रुपये की चपत हो रही है।
विभाग ने भेजी नोटिस
अब विभाग ने ऐसे सभी संस्थानों को नोटिस भेजकर एनओसी लेने की कवायद शुरु की है। विभाग के अनुसार जिले में डेढ़ हजार से अधिक होटल, रिसार्ट, रेस्टोरेंट, विवाह मंडप चल रहे हैं। जिनमें 20 संस्थानों को छोड़कर सभी बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र के चल रहे हैं।

महज 20 लोगों ने ली एनओसी
भूगर्भ जल अधिनियम 2019 के तहत कृषि व घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़कर हर प्रकार के संस्थाओं के संचालकों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। वहीं, भूगर्भ विभाग की मानें तो जिले की महज 20 संस्थाओं ने एनओसी प्रमाण पत्र लिया है। वह भी तब जब विभाग ने नोटिस जारी किया था। विभाग के अनुसार जनपद के 109 होटल, बैंक्वेट हॉल, रेस्टोरेंट को गत वर्ष नोटिस जारी किया गया था जिनमें से 20 ने एनओसी ले ली है। हालांकि, बाकी अभी जल का दोहन कर रहे हैं।
यह है फीस
- एनओसी के लिए 5 हजार रुपये का शुल्क
- 1 हजार लीटर पर एक रुपये का चार्ज लगता है
- शहरी क्षेत्र में एक लीटर के लिए 1.20 रुपया

इस तरह से मिलेगी एनओसी
- एनओसी लेने के लिए निवेश मित्र पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
- इसके लिए सबसे पहले निवेश मित्र पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराएं।
- दूसरे चरण में एनओसी के लिए भूगर्भ विभाग पर क्लिक कर मांगी गई जानकारी भरें।
- आवेदन सफल होने के बाद एप्लिकेशन ट्रैकिग आइडी मिलेगी।
- अगले चरण में संबंधित विभाग आपके संस्थान का भौतिक निरीक्षण के बाद अनुमोदन और एनओसी देगा।

बिना एनओसी के चल रहे होटल, रेस्टोरेंट और मंडप समेत बड़े संस्थानों को नोटिस भेजा जा रहा है। 109 को नोटिस जारी किया गया था 20 ने एनओसी ले ली है। नोटिस के बाद भी पंजीकरण नहीं कराने वालों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
- नवरत्न कमल, नोडल अधिकारी, जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद
अधिकतर होटल व बैक्वेट हॉल में साफ सफाई से लेकर अन्य सभी काम सबमर्सिबल के माध्यम से होते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए यह पानी की बर्बादी है।
- शहबाज
एनओसी लेना जरुरी है कम से कम विभाग को यह पता तो रहे कि किस संस्थान द्वारा कितना पानी प्रयोग किया जा रहा है और किस मद में।
- सुमित शर्मा
एनओसी जारी होने के बाद विभाग को पता रहता है कि कहां कितना पानी प्रयोग हो रहा है। इससे पेयजल की बर्बादी काफी हद तक रुकेगी।
- अजीत शर्मा