मेरठ (ब्यूरो)। शहर में कई प्रमुख स्थानों पर छठ पूजन को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी हैं। इसमें परतापुर गंगोल घाट, सीसीएस यूनिवर्सिटी, गंगानगर आइ-ब्लाक, न्यू मीनाक्षीपुरम मंदिर, जेल चुंगी व पल्लवपुरम में पूर्वाचंल समाज के लोग एकत्र होकर पूरे उल्लास के साथ इस पर्व को मनाते हैं। गंगोल घाट में सरोवर पर छठ पूजन की अनुपम छठा देखते ही बनती है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर कृत्रिम जलाशय बनाकर भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। छठ पूजन में ठेकुआ का प्रसाद विशेष होता है। इसे घर के लोग व महिलाएं सामूहिक रूप से तैयार करते हैं।
ऐसे मनेगा त्योहार
पहला दिन - 28 अक्टूबर - नहाय खाय
इस दिन छठ पूजा की शुरूआत होती है। इस दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से पहले एक बार ही खाना होता है।
दूसरा दिन - 29 अक्टूबर - खरना
छठ का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक महिलाओं का व्रत रहता है। सायंकाल में सूर्यास्त के बाद व्रत का परायण करना होता है। उसके बाद भोजन तैयार किया जाता है। सूर्य भगवान को भोग अर्पित किया जाता है।
तीसरा दिन - 30 अक्टूबर - अध्र्य
यह छठ पूजन का तीसरा व सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन है। इसमें भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अध्र्य दिया जाता है। बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि पूजन सामग्री से सूर्यदेव की आराधना की जाती है। सूर्य को अध्र्य देते हुए छठ गीत गाए जाते हैं।
चौथा दिन - 31 अक्टूबर - उषा अघ्र्य
छठ पूजन के चौथे व अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अध्र्य दिया जाएगा। इसे उषा अध्र्य कहते हैं। 36 घंटे के व्रत के बाद यह अध्र्य दिया जाता है। सूर्योदय को अघ्र्य देने के बाद छठ पर्व संपन्न हो जाएगा।