मेरठ ब्यूरो। सीसीएसयू में महिलाओं के सम्मान, अधिकारों और महिला सशक्तिकरण विकास को लेकर सहयोग करेगा, बीते सात ही सीसीएसयू में इसको लेकर पांच लाख रुपए की लागत में केंद्र बनाया गया था। इस महिला अध्ययन केंद्र में महिलाओं की मदद के लिए प्लानिंग की गई है, केंद्र में न केवल महिलाओं की समस्याओं पर चर्चा की जाएगी, बल्कि उनकी समस्याओं को दूर करने व कम करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम व काउंसिलिंग आदि विभिन्न एक्टिविटी में महिलाओं की समाज में अधिक भागीदारी बढ़ाने में सहयोग किया जाएगा। यही नहीं महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर भी उनको जागरुक किया जाएगा।
गांव की महिलाओं को करेंगे जागरुक
दरअसल सीसीएसयू में इस केंद्र के लिए पिछले साल बजट पास हुआ था, इसके साथ ही उसी साल निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया था। इस केंद्र की समन्वयक प्रो। बिंदु शर्मा ने महिलाओं के स्वास्थ्य से लेकर समाज में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न एक्टिविटी की है, आगे भी कुछ एक्टिविटी की प्लानिंग की गई है। इसका मकसद महिलाओं को विकास व सुरक्षा में योगदान करना है। केंद्र की समन्वयक प्रो। बिंदु शर्मा ने बताया कि केंद्र की शुरुआत से पहले से ही संबंधित कार्य शिक्षकों व स्टूडेंट्स के माध्यम से कराए गए है। इनमें महिलाओं को पर्यावरण, समाज में महिलाओं की भागीदारी, महिलाओं की सुरक्षा व उनके स्वास्थ्य संबंधित विभिन्न गतिविधियों व महिला शिक्षा व उससे जुड़े समस्याओं को जोड़ा गया है। इस साल यूनिवर्सिटी के वालंटियर तैयार किए जा रहे हैं, जो गांव-गांव में यूनिवर्सिटी के इस केंद्र के एक्सपर्ट के साथ जाकर समस्या सुनेंगे व उनको जागरुक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम करेंगे, जो जुलाई से होने जा रहा है।
होगा समस्याओं को सॉल्यूशन
सीसीएसयू में इस केंद्र पर ही महिला कर्मचारी अपने साथ होने वाले यौन शोषण से संबंधित शिकायत कर सकते हैं, उनके लिए भी शिकायतों और उनका निवारण करने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया है। प्रोवीसी प्रो। वाई विमला व प्रो। जयमाला को सदस्य बनाया गया है। प्रो। बिंदु ने बताया कि इस अध्ययन केंद्र के माध्यम से स्टूडेंट गांव-गांव में महिलाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा के बारे में जागरूक करेंगे।
काउंसिलिंग कर किया जाएगा सॉल्यूशन
जल्द ही महिलाओं की समस्याओं को लेकर काउंसिलिंग सेशन भी शुरू किए जाएंगे। हालांकि अभी केंद्र के पास कुछ समस्याएं महिलाओं की पहुंचने लगी है उनका समाधान भी किया जा रहा है, लेकिन जुलाई के बाद से काउंसिलिंग सेशन केंद्र की ओर से गांव-गांव जाकर किया जाएगा, जिसमें महिलाओं की गल्र्स की समस्याओं को सुनकर उनकी काउंसिलिंग कर समाधान किया जाएगा।यह बहुत ही अच्छा प्रयास है अगर महिलाओं की समस्याएं सुनी जाएंगी, लेकिन उनको सॉल्व किया जाए तभी फायदा है केवल सुनकर ही रह जाए तो सही नही।
इशिका
यह बहुत ही अच्छा किया गया है, गांव में महिलाओं में लड़कियों में जागरुकता की कमी है, इसके लिए कार्यक्रम होते रहने चाहिए ताकि उनमें जागरुकता आ सकें।
जैबा
महिलाओं को जागरुक करना जरुरी है, उनको बताना होगा कि उनके अधिकार क्या हैं, उनके स्वास्थ्य के लिए वो क्या कर सकती है, कहां कमियां रह जाती है जिनको उन्हें सुधारना है।
इल्मा