मेरठ (ब्यूरो)। जीएसटी कानूनों मे हो रहे निरंतर बदलाव पर चर्चा करने के संबंध मे मंगलवार को आईआईए भवन पर एक सभा का आयोजन किया गया। इस बैठक के मुख्य अतिथि महेंद्र प्रताप सिंह अपर आयुक्त ग्रेड-प्रथम, राज्य कर, विशिष्ट अतिथि आरपी सिंह संयुक्त आयुक्त (कार्यकारी क्षेत्र ए), सुजीत कुमार जायसवाल संयुक्त आयुक्त (टैक्स ऑडिट), आईआईए के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।
समस्याओं से कराया रूबरू
आईआईए के अध्यक्ष सुमनेश अग्रवाल ने आयुक्त का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। जीएसटी आयुक्त को आईआईए अध्यक्ष सुमनेश अग्रवाल ने उद्यमियो कि और से आयुक्त को बिंदुवार उद्यमियों की समस्याओं को ज्ञापन के रूप मे सोंपा।
इन समस्याओं पर हुआ मंथन
जीएसटी पोर्टल को प्रत्येक विक्रेता की क्रेडिट रेटिंग प्रदान करने की व्यवस्था है जिसे इतने वर्ष बीतने के उपरान्त भी प्रभावी नही किया गया।
नए उद्योगिक भवन निर्माण पर जीएसटी इनपुट क्रेडिट उपलब्ध नहीं है यद्यपि मौजूदा भवनों की मरम्मत पर यह उपलब्ध है।
व्यापार संवर्धन के लिए मार्केटिंग उपहारों पर भी जीएसटी इनपुट क्रेडिट नही दिया जाता।
जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन करने की अपील की गई।
समस्त पंजीकृत व्यापारियों को विभाग द्वारा सत्यापित कर पोर्टल पर चिह्नित किया जाना अति-आवश्यक है जिससे कि समस्त क्रेताओं को यह सुनिश्चित करने में सुविधा होगी कि विक्रेता वास्तविक है या नही।
विभागीय अधिकारियों के दौरे की तिथि से पूर्व जारी किए गए बीजकों पर किसी भी आईटीसी को निर्गत करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
यदि धारा 61 के अन्तर्गत प्राप्त नोटिस का समाधान क्रेता द्वारा विभाग के अनूरूप कर दिया जाता है तो क्या ओडिक अथवा अन्य एजैन्सी इस प्रकार के केस का पुन: निरीक्षण कर सकती है।
गत दो वर्षों में जीएसटी विभाग द्वारा पोर्टल और फाइलिंग के मिलान मे आईटीसी में बेमेल के आधार पर व्यवसायों को वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से अधिकांश बेमेल सामान्य कारणों से होते हैं।
गत अनेक वर्षों से सप्लायर वेरिफिकेशन न होने के कारण एक्सपोर्ट टर्मिनल पर जीएसटी सस्पेंड दिखा रहा है और अनेकों बार कागज़़ जमा करने के उपरांत भी एनओसी नहीं मिल पा रही है। फलस्वरूप पिछले रिफ़ंड रुके हुए हैं।
कुछ माह पूर्व निर्यात होने वाले समान के समुद्री अथवा वायुयान के किराये पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगा दिया गया। जिस कारण विश्व मे भारत का माल विश्व स्पर्धा मे नही टिक पायेगा।
औद्योगिक उत्पादों पर जी।एस।टी। के कई स्लैब जैसे 5 परसेंट, 12 परसेंट, 18 परसेंट, है, इन्हें एक दर में विलय कर दिया जाए और इस श्रेणी के सभी उत्पादों पर एचएसएन कोड की बिलों पर बाध्यता समाप्त कर दी जाए।
ये रहे मौजूद
बैठक में विभोर अग्रवाल सचिव, राजीव अग्रवाल कोषाध्यक्ष, अजय गुप्ता, अभीमन्यु खन्ना, अश्वनी गेरा, तनुज गुप्ता, अंकित सिंघल और अन्य सदस्यक उपस्थित रहें।