मेरठ (ब्यूरो)। आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज में फर्जीवाड़ा रोकने लिए बनाया गया नया नियम मरीजों के परेशानी का सबब बन गया है। नए नियम के अनुसार मरीजों को आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए सर्जरी के दौरान ऑपरेशन वाले अंग की फोटो चेहरे के साथ अपलोड करनी होती हैं वह भी जियो टैगिंग के साथ। यानि इन फोटोज के जरिए मरीज के भर्ती होने से लेकर ऑपरेशन तक के समय की लाइव मॉनिटरिंग का रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। ऐसे में मरीज अपने निजी अंगों के फोटो अपलोड करने से कतरा रहे हैं। खासतौर पर महिला मरीजों के केस में फोटो अपलोड न होने पर भुगतान तक रोका जा रहा है।

हो रहा था फर्जीवाड़ा
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थी परिवार को प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये तक के उपचार की सुविधा मिलती है। आयुष्मान योजना के कार्ड 2011 की जनगणना के अनुसार पात्र लाभार्थियों के ही बनाए जाते हैं। ऐसे परिवार जिनके राशन कार्ड में छह या छह से ज्यादा लोग हैं, उन्हें इसमें शामिल किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार आयुष्मान योजना के तहत मरीजों को इलाज में करीब 103 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस योजना को शुरू हुए पांच साल से ज्यादा हो गए हैं और इस दौरान 60 हजार से अधिक मरीजों को इलाज मिल चुका है। इसमें भर्ती मरीजों की जांच से लेकर ऑपरेशन का खर्च दिया जाता है। एजेंसी के माध्यम से सरकार इलाज का खर्च उठाती है। लेकिन इस पांच लाख के लालच में अस्पताल फर्जीवाड़ा कर मरीजों का डाटा तैयार कर देते हैं। मरीजों को आईसीयू में भर्ती दिखाकर या फर्जी ऑपरेशन दिखाकर मोटा बिल तैयार किया जाता है। ऐसे में इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की लाइव मॉनिटरिंग तो शुरू कर दी लेकिन इस गाइडलाइन के अनुसार फोटो अपलोड करने में मरीज आनाकानी कर रहे हैं।

महिला मरीजों की बढ़ी परेशानी
इस गाइडलाइन के अनुसार मरीज के भर्ती के रहने के दौरान रोजाना जियो टैगिंग के साथ फोटो अपलोड किया जाएगा। भर्ती होने के दिन से लेकर ऑपरेशन होने तक के फोटो क्रम से अपलोड किए जाएंगे। साथ ही गाइडलाइन में ऑपरेशन के समय मरीज का फोटो और जिस अंग का ऑपरेशन होना है, उस अंग फोटो पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया है।

डॉक्टर का फोटो भी
शर्त यह है कि मरीज की सर्जरी के दौरान डॉक्टर को भी मास्क और बगैर मास्क का फोटो अपलोड करना होगा। इस नियम को लेकर महिलाओं की समस्याएं बढ़ गई है। क्योंकि गाइनी, इंडोक्राइन और प्लास्टिक सर्जरी जैसे विभागों में महिलाओं के निजी अंगों की सर्जरी होती है। ऐसे में महिला मरीज अपने अंगों का फोटो अपलोड करने के बजाए केवल चेहरे का फोटो अपलोडिंग के लिए दे रही हैं। ऐसे में आयुष्मान योजना के भुगतान अटकने शुरू हो गए हैं।

आयुष्मान कार्ड की स्थिति
साल 2020-21 मे बने 68,680 आयुष्मान कार्ड
साल 2021-22 में बने 44,678 आयुष्मान कार्ड
साल 2022-23 में बने 149706 आयुष्मान कार्ड
साल 2023-24 में अब तक करीब 4,21,332 कार्ड बने

फैक्ट्स पर एक नजर
शहर में आयुष्मान के तहत 83 निजी अस्पताल इसमें पंजीकृत हैं।
जबकि 15 सरकारी अस्पताल व सीएचसी इसमें शामिल हैं।
मेरठ जिले में 12,96,808 लाभार्थी हैं।
300 से ज्यादा निजी अस्पताल जुडे हुए हैंै।
6,65,796 लोगों के ही गोल्डन कार्ड बने हैं।
6,31,012 ऐसे लाभार्थी हैं जिनके गोल्डन कार्ड नहीं बन पाए हैं।

इस नियम से काफी हद तक आयुष्मान योजना का फर्जीवाड़ा कम हो रहा है। इसमें किसी प्रकार से किसी की निजता या फोटो का दुरुपयोग की संभावना नहीं है। मरीज के जिस अंग का ऑपरेशन होना होता है, उस के आसपास कपड़ा रखकर फोटो खींचा जाता है।
डॉ। आरके सिरोहा, नोडल अधिकारी