मेरठ (ब्यूरो)। डीआईओएस कार्यालय से शासन की मिड-डे मील योजना के लिए हर साल स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की संख्या मांगी जाती है। संख्या के आधार पर ही स्कूलों में मिड-डे मील का बजट व अन्य सामान भेजा जाता है। मगर स्कूलों द्वारा संबंधित सूचना देने में काफी लापरवाही दिखाई जा रही है। इस साल भी शिक्षा विभाग ने हर साल की तरह स्कूलों से बच्चों की संख्या के बारे में सूचना मांगी थी। मगर अभी भी काफी स्कूल ऐसे हैैं, जिन्होंने संबंधित सूचना विभाग के साथ शेयर नहीं की है। जिसके बाद डीआईओएस ने ऐसे सभी स्कूलों के प्रिंसीपल से जवाबदेही मांगी है।
ऐसे कटेगा वेतन
स्कूलों को मिड-डे मील से जुड़ी सारी जानकारी मार्च तक शिक्षा विभाग को देनी होती है। इसी बाबत शिक्षा विभाग ऐसे सभी स्कूलों को चेतावनी जारी की है कि अगर जल्द ही मिड-डे मील की जानकारी नहीं दी तो संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपल की सैलरी काट ली जाएगी। मान लीजिए किसी स्कूल ने मई में मिड-डे मील से जुड़ी जानकारी शिक्षा विभाग को दी तो संबंधित स्कूल के पिं्रसिपल को अप्रैल का वेतन नहीं मिलेगा। डीआईओएस गिरजेश कुमार ने बताया कि कई बार स्कूलों से विभिन्न सूचनाएं मांगने के बाद भी लापरवाही बरती जा रही है।
ऑनलाइन होगा डाटा
अब स्कूलों के मिड-डे मील का सारा डाटा ऑनलाइन अपडेट होगा। इसके लिए शिक्षा विभाग ने एक ऐप तैयार की है। जिसमें स्कूल डाटा फीड करते जाएंगे और अंत में फाइनल जानकारी सामने आ जाएगी। जैसे कि किस स्कूल में मीड-डे मील के लिए कितना बजट भेजा जा रहा है और कितना मीड-डे मिल स्कूल बच्चों के लिए द्वारा इस्तेमाल में लाया जा रहा है।