12 में से सात रैपिड रेल के स्टेशनों के लिए चाहिए निजी जमीन, नहीं मान रहे भूमि मालिक

सिवाया में डिपो की तैयारी से दौराला के किसानों में मची हलचल

Meerut। रैपिड रेल के लिए मेरठ जनपद की सीमा में कुल 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाना है। पांच स्टेशन तो सरकारी जमीनों पर बनने शुरू हो गए हैं लेकिन सात स्टेशनों के लिए निजी भूमि नहीं मिल पा रही है। भूमि मालिक प्रशासन की दरों पर भूमि देने के लिए राजी नहीं हैं।

नहीं मान रहे भूमि मालिक

रैपिड रेल का अंतिम स्टेशन रुड़की रोड पर मोदीपुरम है। इसके लिए आलू फार्म की सरकारी जमीन तो मिल गई है लेकिन सड़क के दूसरी और पल्हेड़ा गांव की निजी जमीन नहीं मिल पा रही है। इससे आगे मेरठ नार्थ (पल्लवपुरम) स्टेशन पल्लवपुरम फेज एक के बाहर एमडीए की जमीन में बनेगा लेकिन यहां भी एक मंदिर की जमीन की जरूरत है। डौरली स्टेशन भी जमीन का इंतजार कर रहा है। ब्रह्मपुरी, रिठानी, परतापुर, मेरठ साउथ आदि स्टेशन निजी भूमि पर बनेंगे। इन भूमि के मालिक प्रशासन की दरों पर सहमत नहीं हो रहे हैं।

यहां चल रहा काम

रुड़की रोड पर एमईएस कालोनी

बेगमपुल भूमिगत

भैंसाली बस स्टैंड भूमिगत

मेट्रो प्लाजा भूमिगत

शताब्दीनगर (संजय वन)

(नोट : ये सभी स्टेशन सरकारी भूमि पर बनाएं जा रहे हैं.)

अब करेंगे अधिग्रहण

जिला भूमि व्यवस्था समिति के सदस्य एडीएम वित्त सुभाषचंद्र प्रजापति ने बताया कि निजी भूमि मालिकों से लगातार सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन बात नहीं बन पा रही है। इसके कारण प्रोजेक्ट में विलंब हो रहा है। प्रोजेक्ट को समय से पूरा करने के लिए स्टेशनों के लिए भूमि का अधिग्रहण करना होगा। इसके लिए जल्द शासन को संस्तुति भेजी जाएगी।

गलत नहीं किसानों की मांग

दौराला के स्थान पर सिवाया में रैपिड रेल के डिपो का निर्माण कराने के लिए जमीन चिन्हित किए जाते ही दौराला के किसानों में हलचल पैदा हो गई है। रविवार को उन्होंने विभिन्न अफसरों को फोन करके इस संबंध में बात की। जानकारों की मानें तो दौराला नगर पंचायत क्षेत्र के भूमि मालिकों की मांग अनुचित नहीं है। दरअसल, नगरीय क्षेत्र होने के कारण यहां भूमि का दाम सर्किल रेट का दोगुना दिया जाएगा। यहां सर्किल रेट 1200 रुपये वर्ग मीटर है। सिवाया गांव पंचायत है। यहां की जमीन का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना दिया जाएगा। सिवाया गांव का सर्किल रेट भी 1400 रुपये है। दौराला के किसान सिवाया के बराबर ही जमीन का दाम मांग रहे हैं। उनकी मांग गलत नहीं है।