मेरठ। ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी। मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती और बारिश का पानीकुछ इन्हीं पंक्तियों को पढ़कर केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल ने मेरठ से जुड़ी यादों को ताजा किया। मौका था दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के अचीवर्स अवार्ड का। इस मौके पर प्रो। बघेल ने कहा कि आज मुझे अपनी यादें ताजा हो गई हैं। मेरठ में जिंदगी के बहुत सुनहरे दिन थे। मेरी बहुत सी यादें मेरठ से जुड़ी हैं।

दीप प्रज्ज्वलन से हुई शुरुआत
होटल हाइफन में आयोजित अचीवर्स अवार्ड का शुभारंभ मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल, दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के आरईएच मुकेश सिंह, दैनिक जागरण एडिटोरियल हेड रवि प्रकाश तिवारी, दैनिक जागरण आगरा के एडिटोरियल हेड अखिल दीक्षित ने दीप प्रज्जवलित करके किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहीं 22 विभूतियों को अचीवर्स अवार्ड से नवाजा।

संस्थानों की है जिम्मेदारी
इस मौके पर केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल ने मौजूद अतिथियों को संबोधित किया। उन्होंने कहाकि देश की आबादी 140 करोड़ के आसपास है, लेकिन पुरस्कारों की संख्या बहुत कम है। फौज को भी उनके काम के हिसाब से पुरस्कारों की संख्या कम है। समाज के हित में बहुत से लोग काम कर रहे हैं, लेकिन सरकारी पुरस्कार कम हैं। ऐसे में विभिन्न संस्थानों की जिम्मेदारी है कि अच्छा काम करने वालों का सम्मान करें।
समाज के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा

केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो। एसपी सिंह बघेल ने करीब 45 मिनट तक अतिथियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार आदि जैसे विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। पेश हैं उनके भाषण के मुख्य अंश

समाज सेवा की पगडंडी एक दिन आपको राष्ट्रीय राजनीति के राजमार्ग ले जाएगी। जिनको राजनीति में रुचि है, तो समाज सेवा के लिए आपकी उपलब्धियां आपको राष्ट्रपति भवन तक ले जाएंगी। आप इस अवार्ड को सर्टिफिकेट या कापी के तौर पर न लें। अब आपको पहले से बेहतर करना पड़ेगा क्योंकि यह अवार्ड अपनी पहचान बन चुका है। इसे मेंटेंन रखना होगा। क्योंकि लोगों को आपकी उपलब्धि दिखाई देती है आपके पैरों के छाले नहीं दिखाई देते।

शिक्षा माफिया कहना सही नहीं
आज से 30-40 पहले मेरठ में आरजी, मेरठ कालेज, डीएन, मेडिकल कालेज जैसे कुछ ही कालेज थे। सीबीएसई बोर्ड के नाम पर गिने चुने स्कूल थे। अब बाईपास पर कई मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज खुल चुके हैं। स्कूलों के लिए शिक्षा माफिया, पब्लिक स्कूल कुकरमुत्तों की तरह खुल गए हैं जैसे शब्दों के मैं बहुत खिलाफ हूं। दरअसल, आवश्यकता अविष्कार की जननी है। आजादी के समय की एक गलती की सजा जनता खासतौर पर देहाती बच्चे आज तक भुगत रहे हैं। देश की आजादी के समय 90 फीसदी गांव थे।

शिक्षा से हर ताला खुलता है
एक बार चौधरी साहब ने कहा था कि देश की खुशहाली का रास्ता खेत खलिहानों से होकर जाता है। मैंने इसे बदला है कि देश की खुशहाली का रास्ता एमएसएमई से भी जाता है। वहीं, बाबा साहेब ने कहा था शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो यह एल्फ्रेड नोबल के डायनामाइट से भी बड़ा फार्मूला है। उन्हें पता था कि जब तक व्यक्ति शिक्षित नहीं होगा, संगठित नही हो सकता तब तक वह संघर्ष नहीं कर सकता है। शिक्षा वो चाभी है, जिससे दुनिया का हर ताला खुलता है। इससे जंग लगे भी ताले खुल जाते हैं।

शिक्षा और चिकित्सा समान हो
जब देश आजाद हुआ था, देश को आजाद करने वाले प्रमुख नेता विदेश से पढ़कर आए थे। देश के पहले शिक्षा मंत्री ने समान शिक्षा व्यवस्था क्यों नहीं लागू की। पहली पंचवर्षीय योजना में ही शिक्षा कॉमन कर देनी चाहिए। हम सात आठ साल के बच्चे स्कूल ही नही जा पाते थे। एक समान शिक्षा व्यवस्था होती तो एक छत के नीचे एक ही सिलेबस पढ़ते। शिक्षा और चिकित्सा समान होनी चाहिए। जो इलाज अमीरों को मिलता है वही मनरेगा के मजदूर को मिलना चाहिए। मजदूर दर्द की मंहगी दवाएं नही खा पाता है ऐसे में जरुरी है इलाज सबके लिए समान होना चाहिए।

गणित व अंग्रेजी जरूर पढ़ाएं
मैं अंग्रेजी का समर्थक नहीं हूं। जब हमने अंग्रेजों को भगाया था तो लार्ड मैकाले को बंगाल की खाड़ी में डुबो देना चाहिए था। तो क्या हम पिछड़े रह जाते, क्या आज फ्रांस, जापान, रशिया, कोरिया आज विकसित देश नहीं हैं। हमें कक्षा छह से अंग्रेजी पढ़ाई गई थी। कॉमन एजुकेशन सिस्टम क्यों नहीं है। बच्चों को गणित और अंग्रेजी को अच्छे से पढ़ाइए। हमें प्राथमिकताएं तय करनी जरूरी हैं। आज एक बात की गारंटी है कि आने वाले समय में कोई बेरोजगार नहीं रहेगा। मैं बताना चाहता कि ग्रुप ए व बी को छोड़कर सभी परीक्षाओं में इंटरव्यू खत्म कर दिए गए हैं। ऐसे में सभी को मौके मिल रहे हैं।
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ये शेर भी सुनाए
- जब से मैं चला हूं मेरी मंजिल पर नजर है इन आंखों ने कभी मील का पत्थर नही देखा

- आपके गले के हार सबको दिखते हैं, आपके पैरों के छाले कोई नहीं देखता

इन विभूतियों को मिला अचीवर्स अवार्ड

1. रितु दीवान, प्रिंसिपल दयावती मोदी एकेडमी स्कूल
2. डॉ। शिमोना जैन, प्रिंसिपल, सेंट जोंस सीनियर सेकेंड्री स्कूल
3. डॉ। अल्पना शर्मा, प्रिंसिपल, सीजेडीएवी
4. शिवानी जेटी, आनर, हैपी इवेंट प्लेनर्स, इवेंट कम्पनी
5. मोहित गोयल, डायरेक्टर, रेप्रो होम प्राइवेट लिमिटेड
6. संचित गुप्ता, डायरेक्टर, फिटनेस प्लेनेट
7. तेजपाल सिंह, डायरेक्टर, तृप्ति सर्वाध्या शिक्षा परिषद समिति
8. मुकेश कुमार, प्रिंसिपल, ऋषभ एकेडमी स्कूल
9. कमल ठाकुर, डायरेक्टर, विश्वकर्मा बिल्डर
10. दयावती मोदी एकेडमी स्कूल
11. अवनीश सिंह, डायरेक्टर, ब्लॉसम स्कूल, ज्ञानोदय संस्था
12. महेश शर्मा, डायरेक्टर, रिश्तो के संसार
13. तनुश्री गुप्ता, डायरेक्टर, मिस्टर ब्राउन बेकरी एंड फूड प्रोडक्शन
14. कवलजीत सिंह, डायरेक्टर, द गुरुकुलम इंटरनेशनल स्कूल
15. मुकेश सिंह, एमडी, ग्रह प्रवेश इंफ्रेकोन प्राइवेट लिमिटेड
16. बाबू राम, डायरेक्टर, एमसीसी हॉस्पिटल
17. पुष्पेंद्र सिंह राणा, प्रधान,
18. डॉ। मोहम्मद शेखर, एमडी मेडिसन
19. अतुल गुप्ता, डायरेक्टर, वेद डवलेपर्स एंड प्रोमोटर्स
20. डॉ। टीके राणा,
21. शिवम बंसल, बंसल बिकानेर स्वीट्स
22. आंचल कौशिक, डायरेक्टर, अमेरिकन किडज एंड स्कॉलर्स एकेडमी
23. मुकेश सिंह, जीएम, हाइफन होटल