मेरठ (ब्यूरो)। आयुर्वेद उपचार से असाध्य रोगों का निदान भी संभव है, आवश्यकता आयुर्वेद को सही से जानने और उपयुक्त उपचार करने की है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शुद्धि आयुर्वेदा के संस्थापक आचार्य मनीष ने यह बात कही। उन्होंने कहाकि संयमित जीवनशैली और आहार पद्धति को अपना कर 80 प्रतिशत रोगों को शरीर से दूर रखा जा सकता है। आचार्य मनीष ने आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के छात्रों को कोर्स पूरा करने के बाद अपने संस्थान में कार्य करने का न्यौता भी दिया। आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल व आईआईएमटी रिसर्च सेंटर फॉर आयुर्वेदा वैदिक साइंस एंड इंडियन हेरिटेज की ओर से तुलसी पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इस दौरान मेडिटेशन गुरु और शुद्धि आयुर्वेदा के संस्थापक आचार्य मनीष आईआईएमटी विश्वविद्यालय पहुंचे। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता व प्रति कुलाधिपति डॉ। मयंक अग्रवाल ने आचार्य मनीष का स्वागत किया। आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का निरीक्षण करते हुए आचार्य मनीष ने वहां छात्रों को दी जा रही शिक्षा व मरीजों को मिल रही सुविधाओं की प्रशंसा की।
राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया
इसके बाद आईआईएमटी विश्वविद्यालय के सेमिनार हाल में राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करने पहुंचे आचार्य मनीष का स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि आचार्य मनीष, आईआईएमटी विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति डॉ। मयंक अग्रवाल, आईआईएमटी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ। सुजीत दलाई, अतिथि वक्ता डॉ। सुरक्षा पाल, डॉ। ईशेन्द्र पराशर ने दीप प्रज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहनजी गुप्ता ने कहा कि आचार्य मनीष के समर्पण और अटूट इच्छाशक्ति की वजह से भारत ही नहीं वरन विदेशों में भी आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार के फायदों को पहले से कहीं ज्यादा मान्यता मिल पाई है। आचार्य मनीष मरीजों के उपचार के लिये आयुर्वेद के साथ योग को भी प्रमुखता से अपनाने को प्रेरित करते हैं।
आयुर्वेद का महत्व बताया
मुख्य अतिथि आचार्य मनीष ने सरल भाषा में आयुर्वेद का महत्व समझाया। उन्होंने आयुर्वेद को अपनी जीवनशैली में शामिल करने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि हम आयुर्वेद को अपना कर और अपनी दिनचर्या व आहार-विहार में बदलाव कर डायबीटिज, ब्लड प्रेशर से लेकर असाध्य माने जाने वाले कैंसर जैसे रोगों का भी उपचार कर सकते हैं। अपनी चुटीली संबोधन शैली से छात्रों को मंत्रमुग्ध कर आचार्य मनीष ने आयुर्वेद चिकित्सा के समक्ष आने वाली चुनौतियां और उनका सामना करने के उपाए बताए। उन्होंने कहाकि पवित्र तुलसी न सिर्फ पूजनीय है वरन इसके संपर्क व सेवन करने से अनेक रोगों से मुक्ति मिल जाती है। आईआईएमटी विश्वविद्यालय की सलाहकार व अतिथि वक्ता डॉ। सुरक्षा पाल ने तुलसी संगोष्ठी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ और आशीर्वाद की जननी तुलसी के गुणों का आयुर्वेद में प्रमुखता से वर्णन किया गया है। अतिथि वक्ता डॉ। इशेन्द्र पराशर ने बताया कि किस प्रकार तुलसी को अपनी जीवनशैली में शामिल कर हम शरीर को निरोग रख सकते हैं।
विजेताओं को मिले पुरस्कार
कार्यक्रम में डॉ। नीरज शर्मा ने तुलसी संगीत प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। मंच का संचालन डॉ। मीना टांडले ने किया। डॉ। सुरभि बंसल ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। क्विज प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया।