मेरठ (ब्यूरो)। बाबा औघडऩाथ मंदिर में आयोजित श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर कथाव्यास अखिल दास महाराज ने कहा कि ह्दय और भक्ति में सत्यता है तो भगवान कृपा जरूर करते हैं। हमें अपना अहम त्याग देना चाहिए। सत्संग के बिना विवेक नहीं मिलता। जिसके जीवन में निष्ठा है, उसकी भक्ति में भी ²ढ़ता होती है। कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीरामचंद्र से आदर्श होने का ज्ञान मिलता है।
रामचरितमानस से लें प्रेरणा
महाराज अखिल ने कहा कि रामचरित्रमानस से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। किस तरह से राम ने अपना धर्म निभाया और राम को पुरुषोत्तम राम क्यों कहा जाता है, इसके बारे में हमें जानना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज राम और सीता जैसा कोई नहीं है वहीं लक्ष्मण जैसा भाई मिलना भी बहुत ही मुश्किल है। वो इसलिए क्योंकि हम अपने संस्कार संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, हम अपने धर्म से दूर है उन शास्त्रों को न जानना चाहते हैं न ही पढऩा। हम पाश्चत्य सभ्यता के आदि होते जा रहे हैं, हाई स्टेटस के चक्कर में हम सब खो चुके हैं। इसलिए हमें अब राम सीता बनना नहीं भा रहा है।
सहनशक्ति समाप्त हो चुकी
उन्होंने कहा कि हमारे अंदर सहनशक्ति समाप्त हो चुकी है। हमें रामचरितमानस से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। महाराज ने बताया कि रामचरितमानस हमें भगवान श्रीराम के जीवन से अनुशासन, प्रबंधन व सत्यता सिखाती है। गुरुवार को कथाव्यास ने भगवान श्रीराम व सीता विवाह का प्रसंग सुनाया। महेश गिरी, अनिल त्यागी, धर्मवीर, प्रताप कुशवाह, रजनी, जयप्रकाश मिश्रा, बीना व सीमा मौजूद रहे।