मेरठ ब्यूरो। सीसीएसयू में गणित विभाग और डीआरडीओ द्वारा आयोजित पांच दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन का आयोजन गणित विभाग के रामानुजन सभागार में किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च एंड स्टडीज फरीदाबाद यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर सुरेश कुमार रहे।

बढ़ गया है महत्व

उन्होंने बताया कि आज के दौर में टेक्स्ट से भावनाओं की पहचान करना बेहद जरूरी हो गया है। यह न केवल व्यापार में सही निर्णय लेने में सहायक होता है बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी इसका महत्व बढ़ गया है। भावनाओं की पहचान डेटा माइनिंग, ई-लर्निंग, मनोविज्ञान, मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन, ग्राहक सेवा और मानसिक स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि डीप लर्निंग तकनीक में कैसे भावनाओं की सटीक पहचान को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं। विभिन्न एंबेडिंग तकनीकों का उपयोग करके इन मॉडल्स की क्षमता को और मजबूत किया जा सकता है।

तकनीकी की जानकारी दी

कार्यक्रम की दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता आईटीएस गाजियाबाद के प्रो। एसके पांडे रहे। इन्होने अपने वक्तव्य में सॉफ्ट कंप्यूटिंग और तकनीक में हुए नवीनतम नवाचारों और उनके व्यापारिक दुनिया पर प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सॉफ्ट कंप्यूटिंग तकनीकों, जैसे फजऱ्ी लॉजिक और न्यूरल नेटवर्क ने जटिल समस्याओं का समाधान आसान बना दिया है। साथ ही, ई तकनीक का उपयोग स्वास्थ्य सेवा, वित्त और स्वायत्त प्रणालियों में किया जा रहा है, जिससे व्यवसायिक प्रक्रियाओं में तेजी और सटीकता आ रही है। उन्होंने 5 प्रतिशत और भविष्य के 6 प्रतिशत नेटवर्क के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला, ्रइस सत्र ने उपस्थित लोगों को सॉफ्ट कंप्यूटिंग और उन्नत संचार प्रणालियों में नवाचारों की गहरी समझ प्रदान की, जिससे वे अपने व्यवसायों में इन तकनीकों का लाभ उठा सकें।कार्यक्रम का संचालन डॉ।सरू कुमारी ने किया।