मेरठ (ब्यूरो)। एंडो वैस्कुलर इंटरवेंशन तकनीक के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है। जिनकी मदद से पेरिफेरल आर्टेरियल डिजीज (पीएडी), डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) और वैरिकाज वेंस जैसे कई एड्स वाले मरीजों का इलाज किया जा सकता है। इसके अलावा मिनिमली इनवेसिव तकनीक के आने से ज्यादतर केस में सर्जरी या अन्य ओपन प्रक्रिया से बचा जा सकता है। इलाज के इन्हीं एडवांस तरीकों की जानकारी देने के लिए गुरुवार को गढ़ रोड स्थित एक रेस्टोरेंट में मैक्स हॉस्पिटल द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।
नसों में खून जम जाना
प्रेस वार्ता में वैस्कुलर एंड एंडोवैस्कुलर सर्जरी के प्रिंसिपल कंसल्टेंट व इंचार्ज डॉ। कपिल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि वैस्कुलर की समस्याओं में समय से इलाज बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। पेरिफेरल आर्टरी डिजीज यानी नसों में खून जम जाना आजकल एक आम समस्या हो गई है। इसमें सिकुड़ी हुई नसों के कारम हाथों-पैरों में खून का फ्लो कम हो जाता है।
बायपास सर्जरी की आवश्यकता
शुरुआती स्टेज में ब्लड क्लॉट की दवाइयों से ठीक किया जा सकता है, थ्रोम्बोलिटिक थेरेपी या एंजियोप्लास्टी से भी इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन नसों में ब्लॉकेज जब बहुत गहरा जाती है तो बायपास सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। आमतौर पर जब लंबा ब्लॉकेज हो जाता है या नसें सिकुड़ जाती हैं तो इस सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। हार्ट की बायपास सर्जरी की तरह ही, शरीर के दूसरे हिस्से की रक्त वाहिका या सिंथेटिक कपड़े से बनी रक्त वाहिका का उपयोग करके एक ग्राफ्ट बायपास बनाया जाता है।