मेरठ ब्यूरो। मेडिकल कॉलेज में वेंटीक्यूलर ट्राइकार्डिया बीमारी से जूझ रहे मरीज का सफल इलाज किया गया। उसका उपचार ऑटोमेटिक इम्प्लांटेबल कार्डिओवर्टर डीफिब्रीलेटर डिवाइस के माध्यम से किया गया। मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पाण्डेय ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग में आए 30 वर्षीय प्रिंस को बार-बार घबराहट की शिकायत थी। जांच से पता चला कि घबराहट रोगी में संभावित घातक वेंटीक्यूलर ट्राइकार्डिया यानि वीटी के एपिसोड का परिणाम थी। उसे कार्डिएक सारकॉइडोसिस नामक एक दुर्लभ बीमारी है।

एआईसीडी का हुआ प्रत्यारोपण
कार्डियोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ सी बी पाण्डेय और डॉ। शशांक पाण्डेय ने मरीज में एआईसीडी यानि ऑटोमेटिक इम्प्लांटेबल कार्डिओवर्टर डीफिब्रीलेटर उपकरण को प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया। यही नहीं, उसे बिना चीरा लगाए इम्प्लांट भी कर दिया। अब मरीज स्वस्थ है।