लखनऊ (ब्यूरो)। World Mental Health Day 2024 Lucknow: देर रात तक ऑफिस में काम करना, वर्क लोड, ऑफिस में भेदभाव, टॉक्सिक वर्क कल्चर के चलते लोगों की मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। आलम यह है कि वर्क लोड प्रेशर और टॉक्सिक वर्क कल्चर के चलते लोगों में पैनिक अटैक की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अकेले पीजीआई के साइकियाट्री विभाग में रोजाना 15-20 मरीज पैनिक अटैक के आ रहे है। एक्सपर्ट की माने तो वर्क प्लेस पर पॉजिटिव वाइब होना बेहद जरूरी है।

'मेंटल हेल्थ एट वर्क' रखी थीम

केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग के डॉ। अमित आर्य बताते हैं कि इस साल मेंटल हेल्थ डे की थीम 'मेंटल हेल्थ एट वर्कÓ है। जो इस बात पर जोर देता है कि सुरक्षित और सहयोगी कार्यस्थल न केवल कर्मचारियों को स्थिरता और उद्देश्य प्रदान करते हैं। बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। पर इसके विपरीत, खराब कामकाजी परिस्थितियां जैसे भेदभाव, उत्पीड़न, मैनेजर द्वारा तनाव देना, छुट्टियां न देना, कम वेतन और असुरक्षित नौकरियां मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर साल डिप्रेशन और एंग्जाइटी के कारण 12 अरब कार्यदिवसों का नुकसान होता है।

लोगों को हो रहा पैनिक अटैक

डॉ। अमित आगे बताते हैं कि वर्क लोड और टॉक्सिक वर्क कल्चर के चलते लोगों की मेंटल हेल्थ बेहद खराब हो रही है। जिसके कारण लोगों में पैनिक अटैक पड़ रहे है। कई मरीज कार्डियोलॉजी में हार्ट अटैक की शिकायत लेकर आते हैं, लेकिन जांच में ईसीजी नार्मल निकलता है, तो उनको साइकियाट्री विभाग में रेफर कर दिया जाता है। ओपीडी में रोजाना 15-20 पेशेंट पैनिक अटैक वाले आ रहे हैं, जिसमें कई मरीज कार्डियालॉजी से रेफर वाले भी होते हैं।

युवाओं में बढ़ रही समस्या

डॉ। अमित बताते हैं कि पैनिक अटैक वाले मरीजों में सबसे अधिक समस्या युवाओं में दिखती है, जो ऑफिस या किसी बिजनेस इंटरप्राइज में काम करते हैं। उनकी उम्र 25-45 वर्ष के उम्र के बीच की होती है। युवा टॉक्सिक वर्क और खासतौर पर टॉक्सिक मैनेजर या सीनियर के व्यवहार के चलते सबसे ज्यादा तनाव में रहने लगे हैं। उनको डर लगता है कि दिया हुआ टारगेट नहीं हुआ तो सबके सामने सुनना पड़ेगा, नौकरी से निकालने की धमकी, इंक्रीमेंट के दौरान भेदभाव, ज्यादा वर्क लोड और लेट नाइट तक वर्क करना पड़ेगा। ये चीजें मेंटल प्रेशर बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे वे मेंटली और फिजीकली दोनों स्तर पर प्रभावित होते हैं। ऐसी समस्या होने पर तत्काल किसी मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए ताकि समय रहते इसे कंट्रोल किया जा सके। ऐसी स्थिति में कई तरह की थेरेपी और दवाएं आदि दी जाती हैं।

नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति बढ़ रही

प्रो। आदर्श त्रिपाठी बताते हैं कि कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य का सीधा असर न केवल व्यक्ति के कामकाज पर, बल्कि उसके जीवन की गुणवत्ता पर भी पड़ता है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित कर्मचारी की उत्पादकता पर असर पड़ता है। इसके साथ ही काम से अनुपस्थिति, नौकरी छोड़ने की प्रवृत्ति जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इन समस्याओं का सीधा असर कार्यस्थलों के साथ-साथ समाज पर भी पड़ता है। लोगों को समझना चाहिए जगह चाहे स्कूल, ऑफिस या कोई भी फैक्ट्री हो, लोगों को खुद को पॉजिटिव रखना चाहिए। एचआर पॉलिसी का सख्ती से पालन होना चाहिए। लोग बिना डरे और भेदभाव के अपनी समस्या साझा कर सकें।

ये होते हैं लक्षण

-लगातार चिंता

-मन अशांत रहना

-भय या डर लगा रहना

-घबराहट

-दिल की धड़कन तेज होना

-पेट में दर्द

-अचानक से कांपना

-छाती में दर्द

-सांस लेने में दिक्कत

-पसीना आना

-ठंड लगना

ऐसे बन सकता है ऑफिस 'हैप्पी प्लेस'

-लचीले कामकाजी घंटे

-स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रोग्राम

-मेंटल हेल्थ अवेयरनेस

-हैप्पी वर्क कल्चर

-अलर्ट एंड हेल्पिंग एचआर

-योग, एक्सरसाइज, मेडिटेशन सेशन

वर्क लोड और टॉक्सिक वर्क प्लेस के चलते लोगों में पैनिक अटैक की समस्या बढ़ रही है, जिससे युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐसे में, एक्सपर्ट की सलाह बेहद जरूरी हो जाती है।

-डॉ। अमित आर्य, केजीएमयू

लोगों को ऑफिस, फैक्ट्री आदि जगहों पर पॉजिटिव और खुश रहना चाहिए। इसके लिए मेडिटेशन, काम के बीच थोड़ा ब्रेक और बीच-बीच में ऑफिस से छुट्टी लेनी चाहिए।

-डॉ। आदर्श त्रिपाठी, केजीएमयू