लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने मंगलवार को बढ़ा हुआ मानदेय न मिलने पर आक्रोश जताते हुए परिसर में धरना-प्रदर्शन किया, जिससे वहां अफरातफरी मच गई। प्रदर्शन के चलते न्यू ओपीडी के रजिस्ट्रेशन काउंटर व विभागों के काउंटरों पर आधे कर्मचारियों के न होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। सोमवार को बंदी होने के कारण अगले दिन मरीजों का भारी दबाव भी था। ये कर्मचारी दिन भर प्रशासनिक भवन के सामने धरने पर बैठे रहे। वहीं, देर शाम संस्थान निदेशक ने कर्मचारियों से बातचीत की। 10-15 दिन में बढ़ा मानदेय लागू करने के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने अपना धरना खत्म कर दिया।

देर शाम तक मरीज देखे गये

संविदा कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन व काम बंद होने से मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। क्योंकि रजिस्ट्रेशन, टोकन नंबर और कैश जमा करने के लिए मरीजों और तीमारदारों की लंबी-लंबी कतारें दोपहर दो बजे तक लगी रही। ट्रामा सेंटर और वार्डों में भर्ती रोगी भी परेशान हुए। जिसके चलते कई विभागों में डॉक्टर्स द्वारा देर शाम तक मरीजों को देखा गया। दरअसल, पीजीआई प्रशासन ने अगस्त में गर्वनिंग बॉडी की बैठक में पेशेंट हेल्पर, डाटा इंट्री ऑपरेटर समेत 13 संवर्ग के करीब 1500 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के मानदेय बढ़ाने की मंजूरी दी थी। पर अचानक ही निदेशक द्वारा तीन सितंबर को एक आदेश पारित कर इसपर रोक लगा दी गई, जिसके विरोध में मंगलवार को करीब 500 कर्मचारियों ने प्रशासनिक भवन के सामने प्लाजा में पहुंचकर प्रदर्शन शुरू करते हुए बढ़ा मानदेय लागू करने के साथ ही नारेबाजी शुरू कर दी।

आउटसोर्सिंग कंपनी ने दिया नोटिस

आउटसोर्सिंग कर्मचारी सेवा प्रदाता कंपनियों ने मंगलवार दोपहर बाद धरना प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों को नोटिस जारी कर कार्रवाई की बात कही। इसपर कर्मचारियों ने खासी नाराजगी जतायी। कर्मचारियों का आरोप है कि संस्थान प्रशासन के इशारे पर इन कंपनियों ने नोटिस जारी किया है।