लखनऊ (ब्यूरो)। कैंसर का पता लगाने में जांच का विशेष महत्व होता है। इसके लिए बायोप्सी समेत सीटी स्कैन, एमआरआई व पीईटी जैसे बड़े टेस्ट किए जाते हैं। पर केजीएमयू, संजय गांधी पीजीआई, लोहिया संस्थान और कैंसर संस्थान में मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि जांच की वेटिंग महीनों तक चली जा रही है। जिसकी वजह से मरीजों का निजी लैब से महंगी जांच तक कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। आर्थिक बोझ के साथ जांच के इंतजार में कैंसर का रोग भी गंभीर हो जाता है।

कैंसर की जांच बेहद जरूरी

कैंसर का प्रकार जानने के लिए जांच बेहद अहम होती है। शुरुआती स्तर पर एफएनएसी, टू्र कट बायोप्सी और बायोप्सी आदि कराया जाता है, जिससे कैंसर सेल का पता चलता है। पर कई बार सही जानकारी न मिलने पर आईएचसी या फिर फिश जैसे टेस्ट करवाए जाते हैं, ताकि कैंसर के बारे में बेहतर तरीके से पता चल सके। इसके अलावा, कुछ कैंसर के लिए मॉलीकुलर मार्कर टेस्ट जैसे सीईए, सीईए99 पीएसए और एलडीएच भी होते हैं। वहीं, एडवांस जांच में सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी स्कैन आता है। इन तीन प्रकार के टेस्ट के लिए ही सबसे लंबी वेटिंग होती है। ये सरकारी संस्थानों में भी कम फीस पर होते हैं, लेकिन यहां पर दो-तीन माह तक की वेटिंग चल रही है। जबकि निजी लैब में ये स्कैन बेहद महंगे होते हैं, जिसकी वजह से मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।

पीईटी स्कैन ऐसे करता है काम

पॉजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन एक इमेजिंग स्कैन है। इसकी मदद से यह देखा जाता है कि अंदरूनी ऊतक किस स्थिति में है और कैसे काम कर रहे हैं। इसमें रेडियोट्रेसर नस में डाला जाता है। जिसे कैंसर ऊतक ज्यादा सोखते हैं। जिससे वो ज्यादा स्पष्ट तरीके से दिखाई देते हैं। यह मुख्यता न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी के लिए कराया जाता है। इसकी मदद से लिम्फोमा, ब्रेन कैंसर, गले का कैंसर, हेड एंड नेक कैंसर, लंग कैंसर आदि के लिए होता है। वैसे कैंसर के हर पेशेंट को यह स्कैन कराने की जरूरत नहीं होती है।

जांच की मिल रही सुविधा

कैंसर जांच की बात की जाये तो बड़े संस्थान जैसे पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में ही सीटी स्कैन, एमआरआई और पीईटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है, जबकि कैंसर संस्थान में सीटी स्कैन और एमआरआई की ही सुविधा उपलब्ध है

केजीएमयू

यहां पर हर माह 50 पीईटी स्कैन और 200-200 सीटी स्कैन और पीईटी स्कैन हो पा रहे है, जबकि मरीजों की संख्या इससे तीन गुनी से अधिक है। जिसकी वजह से खासतौर पर एमआरआई और पीईटी स्कैन के लिए दो-तीन माह तक की वेटिंग चल रही है। इसके अलावा, कुछ निजी कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में ही इन सभी जांचों की सुविधा है।

संजय गांधी पीजीआई

यहां पीईटी स्कैन रोजाना 8-10 ही हो पा रहा हैं, जबकि लिखे 15-20 मरीजों को जा रहा हैं। वहीं, 40-50 एमआरआई और 100 के करीब सीटी स्कैन ही रोजाना हो पा रहा हैं, जबकि इसके दोगुनी संख्या में मरीजों को ये जांचें लिखी जा रही हैं। जिसकी वजह से खासतौर पर पीईटी स्कैन के लिए तीन-तीन माह तक की वेटिंग चल रही है। अन्य की भी दो माह से अधिक तक की वेटिंग है।

लोहिया संस्थान

यहां हफ्ते में 15-20 मरीजों की ही पीईटी जांच हो पा रही है, जबकि 50-60 तक की वेटिंग चल रही है। यहां मरीजों को दो-ढाई माह की वेटिंग दी जा रही है।

कैंसर संस्थान

यहां भी 15-20 एमआरआई और 50 के करीब सीटी स्कैन हो पा रहे हैं, जबकि कैंसर मरीजों का लोड लगातार बढ़ता जा रहा है।

गंभीर मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जाती है। पर मरीजों का लोड अधिक है। उनकी हरसंभव मदद की जाती है।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

संस्थान में जल्द ही पीपीपी मॉडल पर एक और पीईटी स्कैन मशीन लगाने की तैयारी चल रही है, जिससे वेटिंग काफी कम हो जाएगी।

-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी पीजीआई

अभी सीटी स्कैन और एमआरआई की सुविधा है। पीईटी स्कैन के लिए पर्चेजिंग की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही मशीन आ जाएगी।

-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, कैंसर संस्थान

मरीजों का लोड अधिक है, पर गंभीर मरीजों की प्राथमिकता के आधार पर जांच की जा रही है।

-डॉ। भुवन चंद्र तिवारी, लोहिया संस्थान